CPS की नियुक्तियों के बाद खर्च हुए पैसे को सरकारी खजाने में वापस डालना चाहिए- राजीव भारद्वाज
Advertisement
Article Detail0/zeephh/zeephh2514372

CPS की नियुक्तियों के बाद खर्च हुए पैसे को सरकारी खजाने में वापस डालना चाहिए- राजीव भारद्वाज

Shimla News: लोक सभा सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज ने प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से राजभवन में मुलाकात की और कहा सीपीएस को निरस्त करने वाले निर्णय ऐतिहासिक है. 

CPS की नियुक्तियों के बाद खर्च हुए पैसे को सरकारी खजाने में वापस डालना चाहिए- राजीव भारद्वाज

Shimla: शिमला में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं लोक सभा सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज ने प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से राजभवन में शिष्टाचार भेंट की. इस दौरान उनके साथ प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव कटवाल, डॉ राजीव सहजल, प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, प्रवक्ता चेतन ब्रागटा और कोषाध्यक कमल सूद उपस्थित रहे. 

इस दौरान राजीव भारद्वाज ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा सीपीएस को निरस्त करने वाले निर्णय ऐतिहासिक है और इस निर्णय का भाजपा एवं जनता स्वागत करती है. जब से वर्तमान सुक्खू की सरकार ने प्रदेश में सीपीएस नियुक्त किए थे तब से भाजपा के सभी नेता इस निर्णय का निरंतर विरोध कर रहे थे. इस नियुक्ति से केवल प्रदेश पर आर्थिक बोझ पड़ रहा था.

उच्च न्यायालय ने यह निर्णय लेकर जनता को और प्रदेश को राहत पहुंचने का काम किया है. उन्होंने कहा कि अभी तक जो भी पैसा सीपीएस की नियुक्तियों के बाद खर्च हुआ है. उस पैसे को सरकारी खजाने में वापसी डालना चाहिए. यह खर्च किया गया पैसा सरकार खजाने का दुरुपयोग है. उन्होंने कहा कि सुना है सरकार सर्वोच्च न्यायालय जा रही है, लेकिन जिस प्रकार से कोर्ट का ऑर्डर आया है. सरकार की किसी भी प्रकार की याचिका टिकने नहीं वाली है. 

भारद्वाज ने कहा कि वैसे तो इन सीपीएस को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने भाजपा नेताओं और एक अधिवक्ता की याचिका को स्वीकारते हुए हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम, 2006 को भी खारिज कर दिया. 

33 पन्नों के इस फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम, 2006 को राज्य विधानसभा की विधायी शक्ति से परे होने के कारण रद्द किया जाता है. इसके परिणामस्वरूप कोर्ट ने इस अधिनियम के बाद की गई नियुक्तियों को रद्द करते इन्हें अवैध, असंवैधानिक और शून्य घोषित किया. ऑर्डर का बिंदु संख्या 50 में इनकी नियुक्ति एवं पद से बर्खास्त करने हेतु स्पष्ट रूप से लिखा है.

बता दें, जिन छह विधायकों को सीपीएस बनाया गया था. उनमें रोहडू के एमएलए एमएल ब्राक्टा, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की के संजय अवस्थी, बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल, दून के राम कुमार चौधरी और पालमपुर के आशीष बुटेल शामिल हैं. इन सभी की सभी सुविधाओं का पैसा सरकार को इनसे वापस लेना चाहिए. 

रिपोर्ट- समीक्षा कुमारी, शिमला 

 

Trending news