नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति की यूरोप यात्रा से रूस चिढ़ा हुआ है और इसे एक उकसावे वाली यात्रा करार दे रहा है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ऐसे वक्त में यूरोप और खासतौर पर पोलैंड की यात्रा पर पहुंच रहे हैं जब पोलैंड लगातार रूस के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम दे रहा है और पोलैंड के खिलाफ पुतिन का गुस्सा सातवें आसमान पर है.
NATO मुल्कों को एक करने की कोशिश करेंगे बाइडेन
हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति की ये यात्रा बुधवार को शुरू हो रही है, जब एयरफोर्स वन में सवार होकर बुधवार को जो बाइडेन ब्रसेल्स के रवाना होंगे. बाइडेन नाटो मुल्कों को एक करने की कोशिश करेंगे, रूस पर नए और कड़े प्रतिबंधों की घोषणा करेंगे, नाटों और EU के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.
यूक्रेनी शरणार्थियों को लेकर बड़ी घोषणा करेंगे, शुक्रवार को पोलैंड के लिए रवाना होंगे, पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेजेज डूडा से बात करेंगे. पोलैंड को रूस की जगह G20 में आने का न्योता दे सकते हैं.
रूसी खतरे से कितनी दूरी पर होंगे अमेरिकी राष्ट्रपति?
अब समझिए कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन रूसी खतरे से कितनी दूरी पर होंगे. पोलैंड की राजधानी वार्सो में उनकी मुलाकात राष्ट्रपति आंद्रेजेज डूडा से होगी और उनसे महज 120 मील दूर बेलारूस में पुतिन की पूरी फौज है, यानी बाइडेन से रूसी खतरा महज 10 मिनट की दूरी पर है.
अगर यहां बाइडेन की यात्रा ने टेंशन बढ़ाई या फिर बाइडेन की वजह से रूस को G20 से अलग करने की घोषणा होती है तो समझिए पोलैंड वर्ल्ड वॉर का सेंटर बन जाएगा.
नाटो के इस्टर्न कमांड में कितनी फौज पर जानकारी
नाटो के इस्टर्न कमांड में कितनी फौज है जो फिलहाल रूस से अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा के साथ साथ पूरे यूरोप को बचाने के लिए फ्रंटियर फोर्स है. यूरोप में नाटो के पूर्वी कमांड में सिर्फ नाटो गठबंधन के 40 हजार सैनिक तैनात हैं, जबकि पूरे यूरोप में 1 लाख अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. 130 फाइटर जेट्स या बॉम्बर्स तैनात हैं, और आस-पास के सागर में 140 युद्धपोत तैयार खड़े हैं.
देश के हिसाब से देखिए एस्टोनिया में नाटो के 2000 सैनिक हैं तो एस्टोनिया के अपने 7000 सैनिक तैनात हैं. लात्विया में नाटो के 1700 और लात्विया के 7400 सैनिक तैनात हैं. लिथुआनिया में नाटो के 4000 और लिथुआनिया के अपने 16800 सैनिक तैनात हैं. यहां हवाई ताकत भी मौजूद हैं.
पोलैंड में नाटो के 10 हज़ार 500 और अपने 1 लाख 20000 सैनिक मौजूद हैं, जहां एयर डिफेंस सिस्टम भी तैनात है. स्लोवाकिया में नाटो के 2100 और अपने 13000 सैनिक तैनात हैं और यहां भी एयर डिफेंस सिस्टम मौजूद है. हंगरी में 800 नाटो के सैनिक और 24000 अपने सैनिक तैनात है, जबकि यूक्रेन की सीमा के पास नाटो के 3300 और अपने 76000 सैनिक मौजूद हैं और पूर्वी कमांड में बुल्गारिया में 900 सैनिक नाटो के जबकि 26000 सैनिक बुलगारिया के तैनात हैं. यानी पोलैंड में अमेरिकी राष्ट्रपति एक अभेद्य किले में रहेंगे जहां आसमान से 24 घंटें सातों दिन हवाई निगरानी होगी.
यूक्रेन के साथ भाई की तरह खड़ा है पोलैंड
वैसे देखा जाए तो पोलैंड काफी पहले से दुनिया को चेताता रहा है कि रूस यूक्रेन के लिए बहुत बड़ा ख़तरा बन सकता है, क्योंकि रूस अपनी सीमाएं बढ़ाने की फिराक में है लेकिन पश्चिमी मुल्कों ने पोलैंड के इस रवैये को ये माना कि वो सोवियत इफेक्ट से अभी बाहर नहीं निकल पाया है और उसी की चिंता उसे सता रही है. लेकिन पोलैंड को आज भी यूक्रेन के बाद सबसे ज्यादा भय है और इसीलिए वो यूक्रेन के साथ भाई की तरह खड़ा भी है, अड़ा भी है और लड़ने के लिए तैयार भी है.
अब समझिए कि आखिर रूस के लिए पोलैंड आंखों की किरकिरी क्यों है और क्यों अमेरिका राष्ट्रपति खास तौर पर पोलैंड की यात्रा कर रहे हैं. 24 फरवरी को जंग के ऐलान से पहले रूस और नाटो मुल्कों के बीच में यूक्रेन एक बफर जोन था लेकिन अब हालात बिल्कुल जुदा हो चुके हैं और धीरे-धीरे ही सही पुतिन की फौज यूक्रेन को चारों ओर से घेरकर गिराने की अपनी रणनीति पर काफी आगे बढ़ चुकी है और सबसे बड़ा ख़तरा अगर किसी मुल्क की ओर बढ़ रहा है तो वो है पोलैंड.
पोलैंड क्यों बना पुतिन की आंखों की किरकिरी?
पोलैंड नाटो सैन्य गठबंधन का सदस्य है, पोलैंड में रूसी बोलने वाले 20 लाख शरणार्थी हैं, यूक्रेन के साथ पोलैंड की 529 किलोमीटर की सीमा, बेलारूस के साथ पोलैंड की 399 किलोमीटर की सीमा, पोलैंड ने रूस के 40 डिप्लोमेट को निकाल दिया है.
पोलैंड ने रूस को G20 से निकालने का समर्थन किया, यूक्रेन में शांति सेना भेजने के लिए तैयार हैं पोलैंड, यूरोपियन यूनियन को और प्रतिबंध लगाने के लिए कह रहा है, पश्चिम से आने वाले हथियार पोलैंड के रास्ते यूक्रेन पहुंच रहे हैं. पोलैंड खुद भी यूक्रेन को हथियारों से मदद कर रहा है. यूक्रेन को मिग-29 देने के लिए अमेरिका और EU पर दबाव बना रहा है.
यही वजह है कि पुतिन पोलैंड से काफी नाराज हैं और आने वाले समय में अगर कोई मुल्क उनके निशाने पर होगा तो वो पोलैंड हो सकता है और पुतिन की फौज भी उसी तरह से तैनात है. रूसी फौज की मौजूदगी यूक्रेन में है और बेलारूस में है.
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बेलारूस में रूसी मोबाइल मिसाइल सिस्टम मौजूद हैं, एयर डिफेंस सिस्टम मौजूद है, रूसी वायुसेना की रेजिमेंट मौजूद है. इसके अलावा रूसी बॉम्बर्स और लम्बी दूरी की बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों के लिए भी बेलारूस दूर नहीं है. और पिछले दिनों अपने बॉम्बर्स को बेलारूस के रास्ते पोलैंड के हवाई क्षेत्र में भेजकर रूस ने पोलैंड को बता दिया था कि क्रेमलिन के लिए अगला टारगेट पोलैंड ही है, और अगर पोलैंड पर रूसी हमला होता है तो ये सीधे नाटो से जंग होगी, जिसका मतलब है तीसरा विश्व युद्ध..
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