ब्रिटेन के इस इलाके में तंबू और कब्रिस्तान में रहते हैं लोग, कभी था रईसों का शहर

'डेली स्टार' के मुताबिक शहरी खोजकर्ता जो फिश ने बताया कि कॉर्नवेल का यह इलाका एक समय में यूरोप के सबसे अमीर जगहों में से एक था, हालांकि अब यह जगह यूरोप के सबसे वंचित इलाकों में से एक है. 

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : May 21, 2024, 02:38 PM IST
  • देश के सबसे रिहाइशों इलाकों में था कॉर्नेवल
  • मजबूरी में तंबू और कब्रिस्तान में रह रहें है लोग
ब्रिटेन के इस इलाके में तंबू और कब्रिस्तान में रहते हैं लोग, कभी था रईसों का शहर

नई दिल्ली: ब्रिटेन का यह शहर कभी टिन और कॉपर के बिजनेस के लिए खूब जाना जाता था. आज ये वहां के सबसे वंचित और पिछड़े इलाकों में से एक है. हालत इतने बुरे हैं कि यहां के लोग तंबू और कब्रिस्तान में रहने को मजबूर हैं. इस जगह का नाम कैंबोर्न कॉर्नवाल है. 'डेली स्टार' की रिपोर्ट के मुताबिक ये जगह एक समय पर दुनियाभर के सबसे रिहायशी इलाकों में से एक था. 

 नशीली दवाईयों का होता है इस्तेमाल 
यूरोप के सबसे वंचित इलाकों में से एक कैंबोर्न कॉर्नवाल में बड़े पैमाने पर नशीली दवाईयों का इस्तेमाल होता है. ये शहर भिखारियों और गुंडगर्दी करने वाले लोगों का अड्डा बन चुका है. स्थानीय लोगों की ओर से नशीली दवाईयों के इस्तेमाल को लेकर काफी शिकायतें की गई, जिसके बाद कैंबोर्न के कोर्निश शहर में अब पुलिस के साथ वर्दीधारी बाउंसर भी यहां की रक्षा करते हैं. 

कूड़े से भरा है शहर 
'डेली स्टार' के मुताबिक शहरी खोजकर्ता जो फिश ने बताया कि कॉर्नवेल का यह इलाका एक समय में यूरोप के सबसे अमीर जगहों में से एक था, हालांकि अब यह जगह यूरोप के सबसे वंचित इलाकों में से एक है. जो के मुताबिक हाई स्ट्रीट की 20-30 प्रतिशत दुकानें बंद हो चुकी हैं और जो बची हुई हैं वे या तो खराब या मरम्मत की स्थिति में हैं .सड़क पर शराब को खाली बोतलें और कई तरह के कूड़े पड़े हुए हैं. इसके अलावा शहर के ठीक बाहर एक गली में नीशीली दवाईयां बिखरी हुई हैं. 

रहने के लिए संघर्ष कर रहे लोग 
कॉर्नवेल का यह इलाका गरीबी से निपटने के लिए यूरोपीय संघ (EU) से भुगतान प्राप्त कर रहा था. यह UK के सिर्फ उन 4 इलाकों में से एक था, जो इस भुगतान के लिए योग्य था, हालांकि ब्रेक्सिट के बाद से सब्सिडी खत्म होने पर यह इलाका बेहद संघर्ष कर रहा है. बता दें कि कैंबोर्न के कुछ बेघऱ लोगों साल्वेशन आर्मी होटल पर रहने के लिए रखा गया है. वहीं की लोगों को स्थानीय चर्चयाड और अस्थायी केबिनों पर रखा गया है.  

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