सुपरकंप्यूटर ने बताई धरती के अगले सामूहिक विनाश की तारीख, 2023 के बाद बस इतने साल बाकी

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि धरती पर कई प्रजातियां एक साथ विलुप्त हो जाएंगी. सुपरकंप्यूटर के जरिए यह शोध किया गया है. वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी के मुताबिक पृथ्वी 2100 तक बड़े पैमाने पर प्रजातियां विलुप्त होने का सामना करेगी. एक चौथाई प्रजातियों का सफाया हो सकता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 20, 2022, 10:35 AM IST
  • शोधकर्ताओं ने आभासी वास्तविकता में 2,000 "पृथ्वी" बनाई
  • फिर देखा कि कैसे छोटे परिवर्तन वैश्विक आपदा में बदल जाएंगे
सुपरकंप्यूटर ने बताई धरती के अगले सामूहिक विनाश की तारीख, 2023 के बाद बस इतने साल बाकी

लंदन: हम एक ओर साल 2022 से 2023 में प्रवेश करने जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक शोध में धरती पर आने वाले अगले सामूहिक विनाश की संभावित तारीख में तय कर दी है. सुपरकंप्यूटर के जरिए हुए इस शोध में दावा किया गया है, अगले कुछ दशक बाद धरती पर कई प्रजातियां एक साथ विलुप्त हो जाएंगी.

तबाही की तारीख
सुपरकंप्यूटर की भयानक भविष्यवाणी के मुताबिक पृथ्वी 2100 तक बड़े पैमाने पर प्रजातियां विलुप्त होने का सामना करेगी. आने वाले 80 वर्षों में चार में से एक प्रजाति गायब हो सकती है. यानी एक चौथाई प्रजातियों का सफाया हो सकता है.जिससे दुनिया बहुत अलग जगह बन जाएगी.

धरती पर होता रहता है सामूहिक विनाश
अलग-अलग प्रजातियां एक-दूसरे पर कैसे निर्भर करती हैं, इस मॉडल के अध्ययन के जरिए यह चेतावनी दी गई है. वैज्ञानिक पिछले कुछ समय से हमें चेतावनी दे रहे हैं कि पृथ्वी उस तबाही के पैमाने पर बड़े पैमाने पर विलुप्त होने का सामना कर रही है जिसने डायनासोरों का अंत कर दिया.

ये होंगे कारण
यूरोपीय आयोग के वैज्ञानिक गियोवन्नी स्ट्रोना और फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी, एडिलेड, ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर कोरी ब्रैडशॉ के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में कहा गया है कि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ कृषि भूमि और संसाधनों का अत्यधिक उपयोग दुनिया को हमेशा के लिए बदल रहा है. प्रदूषण और जहरीले शैवाल का समुद्र के जीवन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है.

आने वाले 80 वर्षों का मॉडल
प्रोफेसर ब्रैडशॉ और उनके सहयोगियों ने आने वाले 80 वर्षों का मॉडल बनाने के लिए एक सुपरकंप्यूटर का इस्तेमाल किया.उन्होंने कहा, "आज पैदा हुए बच्चे जब 70 की उम्र में पहुंचेंगे तो वे छोटे ऑर्किड और सबसे छोटे कीड़ों से लेकर हाथी और कोआला जैसे प्रतिष्ठित जानवरों तक, हजारों पौधों और जानवरों की प्रजातियों के गायब होने की उम्मीद कर सकते हैं."

शोधकर्ताओं ने आभासी वास्तविकता में 2,000 "पृथ्वी" बनाई और देखा कि कैसे छोटे परिवर्तन वैश्विक आपदा में बदल जाएंगे.कुछ मामलों में उन्होंने अपने कुछ आभासी पृथ्वी पर "ग्लोबल वार्मिंग" लाया, दूसरों पर उन्होंने "परमाणु सर्दी" के प्रकार का अनुकरण किया जो परमाणु युद्ध या बड़े पैमाने पर क्षुद्रग्रह प्रभाव के चलते हो सकता है.  सिमुलेशन के अनुसार, वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई आभासी पृथ्वी पर 5-6 डिग्री सेल्सियस का तापमान अधिकांश जीवन को खत्म करने के लिए पर्याप्त होगा.

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