नई दिल्ली: Russia Presidential Election: रूस में व्लादिमीर पुतिन बीते 24 साल से राष्ट्रपति हैं. उन्हें हराने की हिम्मत कोई नहीं कर पाया है. अब एक बार फिर रूस में चुनाव हैं, 15 मार्च को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होनी है. लेकिन जनता में कुछ खास उत्साह नजर नहीं आ रहा. कई वोटर्स पुतिन को रूस और यूक्रेन की जंग का मुख्य कारण मानते हैं, उनमें पुतिन (Vladimir Putin) को लेकर आक्रोश भी है. फिर भी पुतिन की जीत तय मानी जा रही है. आइए, जानते हैं क्यों?
हर बार पुतिन ही क्यों जीतते हैं?
व्लादिमीर पुतिन साल 1999 से रूस के राष्ट्रपति हैं. 24 साल के अंतराल में पुतिन ने देश की पूरी राजनीतिक व्यवस्था ही बदल दी है. यही कारण है उनके सामने विरोधी उभर नहीं पाते. उभरते हैं तो टिक नहीं पाते.
- पुतिन ने ऐसा कानून बनाया था, जिसके दम पर वे 2036 तक सत्ता में रह सकते हैं. यही कारण है कि पुतिन को राष्ट्रपति पद आगे के दो कार्यकाल तक बने रहने की अनुमति मिल गई थी.
- राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए उक्त व्यक्ति को लगातार 25 साल तक रूस में रहना जरूरी है. जबकि मौजूदा हालात में पुतिन के विरोधियों का यहां रहना संभव नहीं हो रहा. इस कारण प्रेसिडेंट पद के लिए दावेदार खुद-ब-खुद घट जाएंगे.
- पुतिन के शासन में संविधान संशोधन हुआ है. इसमें एलीट वर्ग को ज्यादा ताकत दे दी गई है. दोहरी नागरिकता और ओवरसीज बैंक खाते रखने पर उन्हें छुट दी गई है. ये ज्यादातर पुतिन के वोटर हैं.
- पुतिन के विरोधियों का चुनाव लड़ने का आवेदन भी खारिज हो जाता है. इस बार आयोग ने बोरिस नादेजदीन और येकातेरिना डंटसोवा आवेदन रद्द कर दिया. पुतिन के धुर विरोधी नवलनी की मौत हो गई.
फिर क्यों करवा रहे चुनाव?
जब व्लादिमीर पुतिन 2036 तक राष्ट्रपति रह सकते हैं तो चुनाव क्यों करवा रहे हैं? यही सबसे बड़ा सवाल है. दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वोटर्स में पैदा हुए असंतोष को शांत करने के लिए पुतिन यह चुनाव करवा रहे हैं. पुतिन के पक्ष में ज्यादा वोट पड़ेंगे तो वे यह दिखाने में कामयाब होंगे कि लोग उनके फैसले के साथ हैं. वे यह दिखा सकेंगे कि अधिकांश रूसी युद्ध का समर्थन करते हैं. चुनाव में जीत हासिल करने के बाद रूस के एलिट वर्ग को मैसेज जाएगा कि वैगनर ग्रुप के चीफ येवेज्ञनी प्रिगोझिन के विद्रोह के बाद भी पुतिन ही सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं. देश पर उनका ही कंट्रोल है.
मई में आ सकता है रिजल्ट
रूस में 15 से17 मार्च तक राष्ट्रपति चुनाव के ली मतदान होगा. इसके बाद मई में चुनाव के नतीजों की घोषणा हो सकती है. पुतिन की अप्रूवल रेट रूस में 80% है. इससे स्पष्ट है कि पुतिन यह चुनाव जीतने वाले हैं. ये चुनाव महज खानापूर्ति है.
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