नई दिल्ली: Russia Ukraine Conflict: रूस ने यूक्रेन के दो राज्यों को स्वतंत्र देश की दी मान्यता दे दी है. रूस का यह फैसला यूक्रेन की संप्रभुता पर सीधा-सीधा हमला है और अब रूस किसी भी झड़प को युद्ध में तब्दील कर सकता है. यानी युद्ध छिड़ चुका है, बस हथियारों से हमला बाकी है.
बहुत पहले शुरू हो चुका था रूस-यूक्रेन शीत युद्ध
क्रिमिया पर कब्ज़े के साथ ही रूस और यूक्रेन का शीत युद्ध प्रारम्भ हो चुका था. तब से अब तक कई बार ऐसा लगा कि रूस हमला करने वाला है लेकिन वो हर बार टल जाता है.
इधर चर्चा और उधर तैनाती
पिछले शुक्रवार तक अंतरराष्ट्रीय जगत में इसी पर चर्चा चल रही थी कि जिस युद्ध की पूरी आशंका जताई जा रही थी, उसे डिप्लोमेसी के माध्यम से सुलझा लिया गया है. पर अब जो रूस अपनी सेना को पीछे ले जा रहा था वो फिर सरहदों पर अपनी तोपें लेकर पहुंच चुका है.
एक बार फिर लोगों के वही सवाल है. क्या युद्ध होगा या नहीं. अमेरिका रक्षा मंत्रालय, यूरोप की गुप्तचर एजेंसियां कह रही हैं कि हां युद्ध होगा और ये आने वाले कुछ दिनों में ही हो सकता है. हालांकि अमेरिका ऐसा पिछले करीब दस दिनों से कह रहा .
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पूर्वी यूक्रेन के हालात सबसे मुश्किल
पूर्वी यूक्रेन को देखें तो वहां युद्ध जैसा ही माहौल है. डोनबास में पिछले कुछ दिनों में 2000 से ज़्यादा संघर्ष विराम के उल्लंघन के मामले सामने आए हैं. सोच सकते हैं 2000 से ज़्यादा मामले. क्या ये युद्ध जैसा नहीं है? अब सवाल है कि कौन सीज़ फायर का उल्लंघन कर रहा है तो यूक्रेन का अपना जवाब है, रूस का अपना जवाब है. अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो मुल्कों के अपने जवाब हैं.
यूक्रेन रूस समर्थित विद्रोहियों या अलगाववादियों पर आरोप लगाता है और कहता है कि शनिवार को ऐसे 136 संघर्ष विराम उल्लंघन के मामले सामने आए. अलगाववादी आर्मी कहती है कि यूक्रेन की ओर से 66 बार हमला किया गया. हालांकि ज़मीन पर क्या हो रहा है कोई नहीं जानता, ये बस दोनों ओर से आंकड़ेबाज़ी की जंग है और इसी के आधार पर एक दूसरे पर जंग के लिए उकसाने का आरोप मढ़ा जा रहा है और जंगी तैयारी की जा रही है.
आम लोग चुका रहे कीमत, हो रहा पलायन
इन सब के बीच में मानवता कीमत चुका रही है. यूक्रेन के दो जवान शहीद हो चुके हैं. 61 हज़ार लोग डोनबास से रूस को पलायन कर चुके हैं और इन सब से साज़िश की बू आती है. सोच कर देखिए, यूक्रेन की पहली प्राथमिकता है कि वो युद्ध को टाल दे, फिर वही यूक्रेन डोनबास में रूस को उकसाता क्यों है?
डोनबास यूक्रेन का दरवाज़ा
दूसरी तरफ रूस के पास बहुत कुछ है जो वो हासिल कर सकता है. ब्लादिमीर पुतिन के लिए डोनबास यूक्रेन का दरवाज़ा है. एक ऐसा इलाका जो उनके स्वागत के लिए तैयार है, ऐसे लड़ाकू विद्रोही या अलगाववादी जो मॉस्को के वफादार हैं और एक ऐसी जगह जहां प्रोपगेंडा के ज़रिए दबाव बनाया जा सकता है.
ये एक छद्म युद्ध है?
जो कुछ भी डोनबास में हो रहा है वो युद्ध के जैसा ही है. महिलाएं और बच्चे इस इलाके को खाली कर चुके हैं. ट्रेन और बसे ओवरलोडेड हैं, पहली पंक्ति के पोस्ट खाली पड़े हैं. हथियारों के साथ जवान मुस्तैद हैं. यही तो युद्ध के तैयार एक माकूल ज़मीन है. ये एक तरह से युद्ध ही है, बस रूस खुद वहां दाखिल नहीं हुआ है. तो क्या ये एक छद्म युद्ध है?
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