नई दिल्ली. श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों के आर्थिक हालात बदहाल होने के बावजूद चीन अपने प्रोजेक्ट्स को लेकर आश्वस्त है. इन दोनों ही देशों में एक समानता है कि ये चीन के कर्ज के तले बुरी तरह दबे हुए हैं. इसके बावजूद चीन यह मानने को तैयार नहीं है कि दोनों देशों की बदहाली के पीछे उसका हाथ है.यहां तक कि ड्रैगन यह भी नहीं मानता कि CPEC और BRI जैसे उसके महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स इस वक्त मुश्किल में हैं.
लोन में फंसे देश, प्रोजेक्ट्स नहीं कर पा रहे
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ब्रेन चाइल्ड प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशियेटिव (BRI) एशिया से अफ्रीका तक के देशों में फैला हुआ होगा. कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि आर्थिक दिक्कतों की वजह से कई देश इस प्रोजेक्ट का काम पूरा नहीं कर पा रहे हैं. कई देश चीन का लोन चुका सकने की स्थिति में भी नहीं हैं.
गेम चेंजर प्रोजेक्ट पाकिस्तान के लिए बना 'सफेद हाथी'
वहीं 60 बिलियन डॉलर की लागत वाले चीन पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर (CPEC) को बीजिंग ने एक वक्त गेम चेंजर करार दिया था. लेकिन पाकिस्तान के लिए यह प्रोजेक्ट अब एक 'सफेद हाथी' की तरह होता जा रहा है.कर्ज से दबा पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट को पूरा कर पाने की स्थिति में नहीं है.यही कारण है कि पाकिस्तान सरकार ने अरबों डॉलर के इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) प्राधिकरण को खत्म करने की मंजूरी दे दी है.
शहबाज शरीफ का बड़ा कदम चीन को पहुंचाएगा फायदा?
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जो निर्णय लिया है उसपर चीन की भी मंजूरी लेनी की जरूरत होगी. शरीफ ने सैद्धांतिक रूप से सीपीईसी प्राधिकरण को खत्म करने की मंजूरी दे दी है. योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा कि यह फैसला सीपीईसी के हित में है. इसकी परियोजनाओं के तेजी से कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकरण को भंग कर दिया जाना चाहिए. माना जा रहा है कि अब इस पूरे प्रोजेक्ट पर चीन सीधा काम कर सकता है.
चीन ने नकारी प्रोजेक्ट्स का काम कमजोर होने की बात
हालांकि खुद चीन इन प्रोजेक्ट्स के कमजोर होने की बात नकार रहा है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन का कहना है कि जुलाई महीने तक 149 देशों और 32 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ BRI डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
चीन के दावे से मेल नहीं खा रही हैं अंतराष्ट्रीय रिपोर्ट्स
चीनी दावे से उलट अगर ग्रीन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट सेंटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न देशों में BRI प्रोजेक्ट के काम में भारी कमी देखी गई है.वहीं एक जापानी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई देश इस प्रोजेक्ट पर काम या कम कर चुके हैं या फिर पूरी तरह बंद कर चुके हैं.
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