किसी की मौत के बाद भी जन्म ले सकता है उसका बच्चा, जानें कब और कहां हुआ था पहला केस

किसी के मरने के बाद उसके पिता बनने की बात सुनने में काफी अजीब लगती है. पर सवाल यह है कि क्या यह संभव है और अगर संभव है तो इसकी प्रक्रिया क्या है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 24, 2022, 01:45 PM IST
  • 42 साल पहले हुआ था पहला केस
  • कई देशों में बैन है ये प्रक्रिया
किसी की मौत के बाद भी जन्म ले सकता है उसका बच्चा, जानें कब और कहां हुआ था पहला केस

नई दिल्ली: किसी के मरने के बाद उसके पिता बनने की बात सुनने में काफी अजीब लगती है. पर सवाल यह है कि क्या यह संभव है और अगर संभव है तो इसकी प्रक्रिया क्या है. जीवन में कई बार ऐसे पल आते हैं जब लोग अपने चाहने वालों को पीछे छोड़ जाते हैं, ऐसे में उनके दुनिया छोड़ के जाने के बाद लोग अक्सर उनकी पीढ़ी को जारी रखने के लिये वंशज होने की कामना करते हैं, पर यह बात आपको शायद ही पता होगी कि मेडिकल के क्षेत्र में यह कारनामा किया जा सकता है. 

इसके तहत अगर कोई व्यक्ति अचानक मृत्यु का शिकार हो जाता है तो उसके परिवार को आगे चलाने के लिये उसके मरने के बाद भी उसका बच्चा पैदा किया जा सकता है. इस प्रक्रिया को पीएसआर (पॉस्थ्यूमस स्पर्म रिट्राइवल) कहा जाता है जिसमें मरे हुए व्यक्ति के शरीर से स्पर्म निकालकर स्टोर किये जाते हैं और जब गर्भ का धारण करना होता है तो उस स्टोर किये स्पर्म को महिला के एग तक पहुंचा दिया जाता है जहां पर गर्भाधारण होता है.

42 साल पहले हुआ था पहला केस

करीब 4 दशक पहले तक शायद ही किसी ने कभी इस बारे में सोचा हो लेकिन 1980 में जब पहली बार यह किया गया तो लोगों को इसकी जानकारी हुई. 1980 में एक 30 साल के व्यक्ति का रोड एक्सीडेंट हुआ जिसके बाद वो उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया, लेकिन जब उसके माता-पिता ने वंश चलाने की बात की तो पहली बार इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया.

इसके बाद से ही कई बार इस प्रक्रिया को करवाने के लिये लोगों की तरफ से एप्लीकेशन डाली गई. इतना ही नहीं मेडिकल क्षेत्र में इस प्रक्रिया के आ जाने के 19 साल बाद 1999 में पहला सफल गर्भधारण भी किया गया. गौरतलब है कि इस प्रक्रिया का हर अस्पताल और हर देश नहीं करता है. वहीं मेडिसिन्सकी ग्लासनिक में फरवरी 2021 में छपी रिपोर्ट के अनुसार इसका सफल इस्तेमाल करने के लिये स्पर्म रिस्टोरेशन की प्रक्रिया को व्यक्ति की मौत के 24 से 36 घंटे के अंदर ही करना होता है.

कई देशों में बैन है ये प्रक्रिया

शुरुआती दौर में अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों में इसका तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा था जिसमें किसी के मरने के बाद या मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति का वंश बढ़ाने के लिये यह प्रक्रिया इस्तेमाल की जाती थी. लेकिन बाद में इस प्रक्रिया के एथिकल होने पर सवाल उठने के बाद इसे कई देशों में बैन करने की मांग की जाने लगी.

जर्मनी, स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया, वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया और ताइवान जैसे देशों में मौत के बाद किये जाने वाले इस पॉस्थ्यूमस इनसेमिनेशन पर पूरी तरह से बैन लगा रखा है. हालांकि अमेरिका में इसको लेकर कोई रेगुलेशन नहीं होने के चलते लोग धड़ल्ले से इस प्रक्रिया के लिये अर्जी डालते हैं जिसमें से सिर्फ 25 फीसदी लोगों को ही मंजूरी मिलती है.

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