Christmas Tree Decoration: स्ट्रसबर्ग में क्रिसमस ट्री को सजाने का ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ा. वहीं साल 1605 में घर के अंदर क्रिसमस ट्री को सजाने का रिकॉर्ड मिला. इसके बाद 1964 से रियल क्रिसमिस से फेक क्रिसमस ट्री को सजाने का ट्रेंड शुरू हुआ.
नई दिल्ली: Christmas Tree Decoration: क्रिसमस का त्योहार आने से कुछ दिन पहले ही ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस ट्री को सजाने लगते हैं. तरह-तरह के लाइट्स, कैंडीज और खिलौनों से सजा क्रिसमस ट्री बेहद खूबसूरत लगता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिसमस ट्री सजाने का इतिहास बेहद पुराना है और इसे सजाने के पीछे क्या अर्थ है?
'टाइम्स मैग्जीन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक 15वीं-16वीं शताब्दी में सर्दियों के दौरान इंग्लैंड के ग्रामीण इलाकों में चर्चों और घरों को हरियाली से सजाने की एक पुरानी परंपरा थी. उस दौरान खंभो को बेलों और कुछ पत्तों से सजाया जाता था. इसी प्रथा को क्रिसमस ट्री सजाने का शुरुआत मानी जाती है.
क्रिसमस ट्री की उत्तपत्ति को लेकर कई तरह के मिथक भी हैं. एक मान्यता के अनुसार मार्टिन लूथर पाइन ट्री को भलाई का प्रतीक मानते थे. वहीं एक दूसरी कथा के मुताबिक सेंट बोनिफेस ने 8वीं शताब्दी में एक ओक के पेड़ को काटकर उसकी जगह पर देवदार का पेड़ लगा दिया था, जिसे ईसा मसीह के शाश्वत सत्य का भी प्रतीक माना गया.
यह भी माना जाता है कि मॉडर्न क्रिसमस ट्री के प्रचलन की शुरुआत जर्मनी से हुई है. साल 1419 में जर्मनी के फ्रेइबर्ग नाम के शहर में एक गिल्ड ने एक पेड़ को जिंजरब्रेड, टिनसेल, वेफर और सेब से सजाया. उस समय ये परंपरा क्रिसमस ईव पर एडम और ईव के पर्व को मनाने के लिए किए जाने वाले नाटकों से जुड़ी थी.
16वीं शताब्दी में फ्रांस के शहर स्ट्रसबर्ग में क्रिसमस ट्री को सजाने का ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ा. वहीं साल 1605 में घर के अंदर क्रिसमस ट्री को सजाने का रिकॉर्ड मिला. इसके बाद 1964 से रियल क्रिसमिस से फेक क्रिसमस ट्री को सजाने का ट्रेंड शुरू हुआ. पॉलीविनाइल से बने ये आर्टिफीशियल पेड़ असली पेड़ जैसे दिखते थे.
माना जाता है कि क्रिसमस ट्री न सिर्फ एक सजावट का जरिया है बल्कि यह प्रेम, जीवन और आशा का भी प्रतीक है. यह परिवार के बीच खुशियों को बांटने का प्रतीक माना जाता है. समय के साथ आर्टिफीशियल पेड़ों का ट्रेंड बढ़ गया है, लेकिन अमेरिकन नेशनल क्रिसमस ट्री एसोसिएशन हमेशा असली पेड़ों के पक्ष में रहा है.
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