नई दिल्ली: Israel and Iran War History: मिडिल ईस्ट में तनाव बना हुआ है. इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग में पहले हिजबुल्लाह कूदा. इजरायल ने हिजबुल्लाह की कमर तोड़ी तो ईरान ने हमले शुरू कर दिए. मंगलवार को ईरान ने इजरायल पर मिसाइल हमले किए. ईरान ने इस हमले के जरिये हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह और हमास नेता इस्माइल हानियेह की हत्या का बदला लिया है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान ने बहुत बड़ी गलती कर दी, कीमत चुकानी होगी. अब भले ये दोनों देश एक-दूसरे से जानी दुश्मन हों, लेकिन एक समय पर इनकी गहरी दोस्ती हुआ करती थी.
'सबसे खतरनाक दुश्मन पुराना दोस्त'
साल 1991 में सुभाष घई की फिल्म 'सौदागर' आई, जिसमें दो दोस्तों की कहानी थी जो बाद में दुश्मन बन जाते हैं. एक सीन में वासु (विवेक मुशरान) से राजेश्वर सिंह (राजुकमार) पूछते हैं- सबसे खतरनाक दुश्मन? वासु जवाब देता है- कोई गहरा या पुराना दोस्त! ऐसा ही वाकया ईरान और इजरायल का है. दरअसल, इजरायल साल 1948 में बना था. तब दुनिया के कई देशों ने इजरायल को मान्यता देने से इनकार कर दिया था. लेकिन तब तुर्की के बाद ईरान ने ही इजरायल को देश के तौर पर मान्यता दी थी. इसके बाद से ही दोनों गहरे दोस्त थे. इजरायल ईरान को लेटेस्ट तकनीक वाले हथियार देते था, बदले में ईरान इजरायल को तेल देता था. दोनों के रिश्ते इतने गहरे थे कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के एजेंट ईरान के इंटेलिजेंस सावाक ट्रेनिंग दिया करते थे.
दोस्ती ऐसे दुश्मनी में बदली
दोनों के बीच की रिश्ते साल 1979 के बाद बदले. इससे पहले इजरायल में पहलवी वंश के शाह राज हुआ करता था. लेकिन 1979 में अयातुल्लाह खामेनेई के नेतृत्व में हुई क्रांति ने शाह का शासन खत्म कर दिया. इजरायल को इस्लामिक गणतंत्र बना दिया गया. खामेनेई ने ईरान में गद्दी संभाली. फिर अमेरिका और इजरायल से उसने ईरान के संबंध खत्म कर दिए. ईरान ने इजरायल के लोगों के पासपोर्ट की वैधता को मान्यता देना बंद कर दिया. इजरायल के दूतावास को भी फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑर्गेनाइजेशन को दे दिया. ईरान धीरे-धीरे फिलिस्तीन के नजदीक आया. फिर ईरान ने खुद को इस्लामिक देश के तौर मजबूत करने के लिए फिलिस्तीन का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया. इससे इजरायल और चिड़ गया. हालांकि, तब तक दोनों देश जानी दुश्मन नहीं बने थे, क्योंकि दोनों के लिए सद्दाम हुसैन सिर दर्द बना हुआ था.
ईरान ने इजरायल के खिलाफ खड़े किए संगठन
मामला तब और पेचीदा हुआ जब ईरान ने ऐसे संगठनों को हथियार देना शुरू किया, जो इजरायल के खिलाफ थे. हथियार यमन, सीरिया और लेबनान तक पहुंचे. ये बात इजरायल को खूब अखरी. इसी दौरान ईरान ने हिजबुल्लाह को खड़ा किया, जिसका इजरायल से 36 का आंकड़ा था. हिजबुल्लाह को यहूदी विरोधी बताया गया. 1994 में अर्जेंटीना में हमला हुआ, इसमें 85 यहूदी लोग मारे गए. इससे इजरायल का गुस्सा और बढ़ गया. ईरान ने ऐसे संगठनों को भी पनाह दी जो इजरायल की खिलाफत करते थे, वहां के लोगों पर हमले करते थे.
हाल का मामला ऐसा
दावा है कि इजरायल ने जवाब देते हुए हिजबुल्लाह के नेता अब्बास अल मुसावी की हत्या करवाई. इसके पीछे मोसाद का हाथ बताया जाता है. इसके बाद हालात तब और बिगड़े जब हमास ने 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर हमला किया. इसका बदला लेने के लिए इजरायल ने गाजा पर हमले किए. फिर हिजबुल्लाह ने इजरायल पर अटैक किए. इजरायल ने हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह को मार गिराया. इस बात से ईरान नाराज हुआ, ताजा हमले इसी नाराजगी का नतीजा हैं.
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