ब्रिटेन का लोहा मानेगी दुनिया, सीक्रेट लैब में बना रहा ऐसी एटॉमिक क्लॉक जो उसे दुश्मन से एक कदम आगे रखेगी!

वॉर टेक्नोलॉजी दिन-ब-दिन अपग्रेड होती जा रही है. वैश्विक शक्तियां अपने डिफेंस सेक्टर को और मजबूत बनाने के लिए लगातार रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) में जुटी हुई हैं. इसी बीच ब्रिटेन एक ऐसी हाईटेक घड़ी बना रहा है, जिसे यूके गवर्नमेंट 'रेवोल्यूशनरी' बता रही है. ये स्पेशल घड़ी ब्रिटेन की सीक्रेट लैब डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैबोरेट्री (Dstl) में तैयार हो रही है.

Written by - Lalit Mohan Belwal | Last Updated : Jan 3, 2025, 02:41 PM IST
  • जीपीएस टेक्नोलॉजी पर निर्भरता होगी कम
  • साइबर वॉरफेयर में मददगार होगी ये घड़ी
ब्रिटेन का लोहा मानेगी दुनिया, सीक्रेट लैब में बना रहा ऐसी एटॉमिक क्लॉक जो उसे दुश्मन से एक कदम आगे रखेगी!

नई दिल्लीः वॉर टेक्नोलॉजी दिन-ब-दिन अपग्रेड होती जा रही है. वैश्विक शक्तियां अपने डिफेंस सेक्टर को और मजबूत बनाने के लिए लगातार रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) में जुटी हुई हैं. इसी बीच ब्रिटेन एक ऐसी हाईटेक घड़ी बना रहा है, जिसे यूके गवर्नमेंट 'रेवोल्यूशनरी' बता रही है. ये स्पेशल घड़ी ब्रिटेन की सीक्रेट लैब डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैबोरेट्री (Dstl) में तैयार हो रही है.

इंटेलिजेंस सुधार में बड़ा कदम

यूके गवर्नमेंट ने गुरुवार को दावा किया कि ये हाईटेक एटॉमिक क्लॉक क्वांटम टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार की जा रही है. इससे सैन्य खुफिया और निगरानी क्षमताओं में इजाफा होगा. यूके गवर्नमेंट के मुताबिक, सैन्य कर्मी इस हाईटेक एटॉमिक क्लॉक की मदद से अधिक सुरक्षित और सटीक ऑपरेशन कर सकेंगे. यह इंटेलिजेंस सुधार की दिशा में बड़ा कदम है.

GPS टेक्नोलॉजी पर निर्भरता होगी कम

ब्रिटेन का लक्ष्य है कि आने वाले 5 वर्षों में इसका इस्तेमाल सैन्य अभियानों में किया जाए. एटॉमिक क्लॉक की खूबियों की बात करें तो ये अक्सर दुश्मन द्वारा बाधित किए जाने वाली जीपीएस टेक्नोलॉजी पर निर्भरता को कम करेगी. इस तकनीक के साथ ब्रिटेन अपने दुश्मन से एक कदम आगे होगा.

साइबर वॉरफेयर में मददगार होगी ये घड़ी

यही नहीं ये घड़ी एकदम सटीक सेकेंड्स बताएगी जिससे असाधारण समझे जाने वाली गणनाएं भी की जा सकेंगी. सटीक समय बताने की अपनी क्षमता के चलते ये घड़ी साइबर वॉरफेयर में काफी मददगार साबित हो सकती है और ब्रिटेन को रणनीतिक लाभ दिला सकती है.

हालांकि क्वांटम टेक्नोलॉजी की मदद से पहले भी क्लॉक बनाई जा चुकी है. 15 साल पहले बोल्डर में कोलोराडो विश्वविद्यालय ने क्वांटम क्लॉक बनाने के लिए यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी के साथ सहयोग किया था. लेकिन, यह इस तकनीक में ब्रिटेन के शुरुआती उद्यम का प्रतिनिधित्व करता है. 

क्वांटम टेक्नोलॉजी पर किया जा रहा निवेश

वैसे गूगल से लेकर अमेरिका और चीन तक में क्वांटम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है. हाल ही में गूगल ने एक क्वांटम कंप्यूटिंग चिप बनाई, जिसे लेकर दावा किया जाता है कि ये मिनटों में कठिन से कठिन गणना कर सकती है. वहीं अमेरिका और चीन क्वांटम रिसर्च में पर्याप्त निवेश कर रहे हैं. अमेरिका तो इस संवेदनशील तकनीक पर सख्त निर्यात नियंत्रण लागू कर रहा है. 

बीते अक्टूबर एक्सपर्ट ओलिवर एजराटी ने न्यूज एजेंसी AFP से कहा था, पिछले पांच वर्षों में इस क्षेत्र में निजी और सार्वजनिक निवेश संयुक्त रूप से 20 अरब डॉलर तक पहुंच गया है.

क्या है क्वांटम टेक्नोलॉजी, जानिए 

क्वांटम टेक्नोलॉजी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक उभरता हुआ क्षेत्र है. यह क्वांटम मैकेनिक्स के सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें सूक्ष्म कणों जैसे इलेक्ट्रॉन्स, फोटॉन्स आदि के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है. क्वांटम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम सेंसिंग और क्वांटम क्रिप्टोग्राफी आदि में किया जा सकता है.

क्वांटम कंप्यूटिंग में काफी तेज और जटिल गणनाएं हो सकती हैं तो क्वांटम संचार हैकिंग प्रूफ नेटवर्क तैयार कर सकता है. इसी तरह क्वांटम सेंसिंग की मदद से उच्च सटीकता वाले सेंसर बनाए जा सकते हैं तो क्वांटम क्रिप्टोग्राफी डेटा एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन में सुरक्षा बढ़ा सकता है.

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