लंदन: अंटार्कटिका के 'ब्लड फॉल्स' (लाल पानी वाले झरने) ने दशकों तक वैज्ञानिकों को हैरान किया लेकिन शोधकर्ताओं ने आखिरकार पता लगा लिया कि ये डरावना पानी लाल क्यों होता है. बर्फ से निकलने वाले लाल पानी के चलते इस झरने को 'ब्लड फॉल्स' कहा जाता है. अलास्का फेयरबैंक्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ने इस रहस्य का जवाब खोजा है.
लंदन: अंटार्कटिका के 'ब्लड फॉल्स' (लाल पानी वाले झरने) ने दशकों तक वैज्ञानिकों को हैरान किया लेकिन शोधकर्ताओं ने आखिरकार पता लगा लिया कि ये डरावना पानी लाल क्यों होता है. बर्फ से निकलने वाले लाल पानी के चलते इस झरने को 'ब्लड फॉल्स' कहा जाता है. अलास्का फेयरबैंक्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ने इस रहस्य का जवाब खोजा है.
टेलर ग्लेशियर (Taylor Glacier)
टेलर ग्लेशियर इसका असली नाम है. यह अंटार्कटिका के मैकमुर्डो सूखी घाटियों में स्थित है और इसे पहली बार 1911 में खोजा गया था. यह दशकों से वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा था, इस प्राकृतिक घटना की विभिन्न सिद्धांतों से व्याख्या करने की कोशिश की गई.
कैसे बदलता पानी का रंग
अलास्का फेयरबैंक्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक उनके अध्ययन से पता चला कि लाल जलमार्ग 1.5 मिलियन वर्ष से अधिक पुराना था. घाटी में उच्च लोहे की सामग्री के साथ खारा पानी है. इस झील में प्रकाश या ऑक्सीजन की बहुत कम पहुंच है. इसलिए जैसे ही प्रवाह हवा में ऑक्सीजन के संपर्क में आता है, यह जंग खा जाता है और धीरे-धीरे पानी का रंग बदल जाता है.
यह क्षेत्र अत्यधिक जलवायु के कारण रहने योग्य है. शोधकर्ताओं ने यह भी खुलासा किया कि रोगाणु इस पानी के भीतर रहते हैं, क्योंकि वे जीवित रहने के लिए आयरन और सल्फेट का उपयोग करके अत्यधिक परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं. ब्लड फॉल्स तक पहुंचने का एकमात्र तरीका अमेरिका के मैकमुर्डो स्टेशन, न्यूजीलैंड के स्कॉट बेस से हेलीकॉप्टर या रॉस सागर के माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं. आप सार्वजनिक पर्यटन ले सकते हैं लेकिन केवल कुछ ऑपरेटरों के साथ.
इसे भी पढ़ें: खामोश हैं शी जिनपिंग, चीन में 5 लाख कोरियाई लड़कियों को बनाया गया सेक्स स्लेव
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.