नई दिल्लीः शुक्रवार 10 मई को फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनाने के लिए वोटिंग की गई. इसके लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत समेत विश्व के कुल 143 सदस्य देशों ने फिलिस्तीन के समर्थन में अपना वोट दिया. वहीं, कुल 9 देशों के वोट फिलिस्तीन के विरोध में पड़ें. इनमें अमेरिका और इजरायल भी शामिल हैं. इन सब के बजाय संयुक्त राष्ट्र महासभा में वोटिंग के दौरान कुल 25 देश अनुपस्थित रहे.
सदस्य बनने के लिए क्वालीफाई कर चुका है फिलिस्तीन
संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुई इस वोटिंग प्रक्रिया के बाद फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनने के लिए क्वालीफाई कर चुका है. हालांकि, अभी पूर्ण सदस्य नहीं बन पाया है. फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पूर्ण सदस्य का दर्जा मिले. इस प्रस्ताव पर बातचीत गाजा पट्टी में इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध के सात महीने बाद हुई है. बता दें कि इजरायल अपने कब्जे वाले वेस्ट बैंक में अपनी बस्तियों का लगातार विस्तार कर रहा है और संयुक्त राष्ट्र इसे अवैध मानता है.
भारत समेत 143 देशों ने फिलिस्तीन को दिया समर्थन
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुई बैठक के दौरान भारत समेत विश्व भर के कुल 143 देशों ने फिलिस्तीन के समर्थन में अपना वोट डाला और उसे महासंघ का पूर्ण सदस्य होने के योग्य भी बताया है. ड्राफ्ट में कहा गया कि फिलिस्तीन पूर्ण सदस्य बनने के योग्य है. इसलिए उसे संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्ण सदस्यों की सूची में शामिल किया जाना चाहिए.
'आतंकवादियों का स्वागत कर रहा है संयुक्त राष्ट्र'
संयुक्त राष्ट्र महासभा में मौजूद फिलिस्तीन के राजदूत रियाद मंसूर ने कहा कि हम शांति चाहते हैं, हम आजादी चाहते हैं. यहां पर हां का वोट फिलिस्तीन के अस्तित्व के लिए है. यह किसी राज्य के खिलाफ नहीं है. यह शांति के लिए है. वहीं, इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दान ने इस वोटिंग की निंदा की और कहा कि संयुक्त राष्ट्र अब आतंकवादियों का स्वागत कर रहा है. दुनिया में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना इसलिए की गई थी कि दुनिया में कोई भी अत्याचारी अपना सिर न उठा पाए, लेकिन आज इसके ठीक विपरीत हो रहा है. आज एक आतंकवादी राज्य को बढ़ावा दिया जा रहा है.
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