Indian Wedding Rituals: मां आखिर क्यों नहीं देखती अपने ही बेटे की शादी के सात फेरे, जानें क्या है इसके पीछे की वजह...

Hindu Marriage: सनातन धर्म में अलग-अलग जगह पर भिन्न तरह के शादी-विवाह के रीति रिवाज हैं. इसी वजह से हिंदुस्तान को विविधताओं का देश कहा जाता है. वहीं बहुत सी जगह ऐसी भी है, जहां अपने बेटे की शादी में शामिल नहीं होतीं और न ही उसके फेरे देख पाती है. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह...

Written by - Ansh Raj | Last Updated : Jan 15, 2024, 12:15 PM IST
Indian Wedding Rituals: मां आखिर क्यों नहीं देखती अपने ही बेटे की शादी के सात फेरे, जानें क्या है इसके पीछे की वजह...

Indian Wedding Rituals: सनातन धर्म में अलग-अलग जगह पर भिन्न तरह के शादी-विवाह के रीति रिवाज हैं. इसी वजह से हिंदुस्तान को विविधताओं का देश कहा जाता है. आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि आखिर वो कौन सा कारण है, जिसकी वजह से एक मां अपने ही बेटे की शादी में नहीं जाती और न ही उसके सात फेरे देखती है. 

मां नहीं देखती बेटे के फेरे...
शादी हर धर्म में सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है. वहीं सनातन धर्म में शादी को लेकर अलग-अलग क्षेत्र में अपना रीति रिवाज है. शादी ब्याह में लड़के की बारात से लेकर सात फेरे और भी तमाम तरह की परंपरा न्मिम्बाई जाती है. लड़के और लड़की के सात फेरे और मांग में सिंदूर भरने व मंगलसूत्र पहनाने के बाद शादी सप्मन्न होती है. इस दौरान लड़के और लड़की की ओर से बहुत सारे रिश्तेदार मौजूद होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं बहुत सी ऐसी जगह भी है, जहां पर लड़के की मां इस रिवाज में शामिल नहीं होती है और न ही वो अपने बेटे के फेरे के शुभ और पवित्र परंपरा को नहीं देखती है. आइए जानते हैं कि आखिर इस परंपरा के पीछे, वो कौनसी वजह है? जिसके कारण मां अपने बेटे के फेरे नहीं देखती है.  

यह है वजह...
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ रही है कि मां अपने बेटे की शादी में शामिल नहीं होती है. ऐसा कहा जाता है कि यह परंपरा मुगल काल से चली आ रही है. ईसा भी कहा जाता है कि मुगल काल से पहले यह परंपरा नहीं होती है और मां अपने बेटे की शादी में शामिल होती थी और उसके साथ फेरे भी देखती थी. मां के अपने ही बेटे की शादी में शामिल होने की वजह यह भी है कि मुगल काल में जब महिलाएं अपने बेटे की शादी में जाती थी, तो उन्बके घर में चोरी हो जाती थी. इसके बाद से ही महिलाओं को शादी में न जाने का फैसला लिया गया और उन्हें घर की देखभाल के लिए घर पर ही छोड़ दिया जाता था. 

बेटे की बरात जाने से पहले मां पाने घर पर ही होने वाले रीति रिवाज में शामिल, तो हो सकती थीं, लेकिन बारात में साथ नहीं जा सकती थी इसी कारण वो अपने बेटे की बारात में होने वले रीति रिवाज में शामिल नहीं होती थी एयर इसी वजह से वो अपने बेटे के फेरे नहीं देख सकती थी. आज भी बहुत सी जगह पर इस परंपरा का पालन किया जा रहा है. वहीं अब समय बदल भी रहा है, तो लोग इसे मानते भी नहीं हैं.. बता दें कि यह परंपरा बिहार, मध्यप्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में कई जगह देखने को मिलती है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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