नई दिल्ली: Ghalib Top Shayari: आज ग़ालिब का जन्मदिन है. उर्दू शायरी में ग़ालिब जैसा महारथी कोई दूसरा नहीं है. ग़ालिब की पैदाइश ननिहाल आगरा की है. उनकी अम्मी एक दौलतमंद ख़ानदान से थीं. ग़ालिब का निकाह भी एक दौलतमंद ख़ानदान की लड़की से हुई. लेकिन ग़ालिब की जिंदगी हमेशा मुफलिसी में ही गुजरी. ग़ालिब का खास अंदाज कहें या शायरी के लिए उनकी बेतहाशा मोहब्बत कहें, उन्होंने हमेशा शेर-ओ-शायरी के प्रति लगाव रखा. आइए, उनकी जयंती पर पढ़ते हैं उनके खास शेर.
ग़ालिब के टॉप 10 शेर
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
रहा गर कोई ता क़यामत सलामत
फिर इक रोज़ मरना है हज़रत सलामत
शहरे वफ़ा में धूप का साथी नहीं कोई,
सूरज सरो पर आया तो साये भी घट गए
गुनाह करके कहां जाओगे ग़ालिब,
ये जमीं और आसमां सब उसी का है
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता,
तुम न होते न सही जिक्र तुम्हारा होता
है और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते है कि ‘ग़ालिब’ का है अदाज़-ए-बयाँ और
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
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