Investors Deadline: आज के समय में बैंक अकाउंट हो या कोई अन्य खाता सभी में नॉमिनी की जानकारी देना जरूरी है और हर किसी को इसे एक जिम्मेदारी के तौर पर भी लेना चाहिए. ऐसे में अब डीमैट (Demat) खाताधारकों और म्यूचुअल फंड निवेशकों को सतर्क होने की जरूरत है. दरअसल इन लोगों के पास अपने उत्तराधिकारी (Nominee) को नामित करने या एक घोषणापत्र भरकर योजना से बाहर निकलने का विकल्प चुनने के लिए 30 सितंबर तक का समय है. ऐसा नहीं करने पर निवेशकों के डीमैट खातों और फोलियो पर रोक लगा दी जाएगा. इसका मतलब है कि खाता 'फ्रीज' कर दिया जाएगा, जिससे कोई लेन-देन नहीं हो सकेगा.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के अनुसार, यह आदेश नए और मौजूदा दोनों निवेशकों दोनों पर लागू होगा. यह कदम निवेशकों को उनकी संपत्ति को सुरक्षित रखने और उन्हें उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को सौंपने में मदद करने को उठाया गया है. बता दें कि खाते में नॉमिनी होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि अगर कभी आपको कुछ हो जाता है तो खाते में रखा आपका निवेश उन्हें दिया जा सके.
SEBI के नए नियम क्या हैं?
'FYERS' के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) तेजस खोडे ने कहा, 'यह किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मामले में निवेशकों के कानूनी उत्तराधिकारियों को प्रतिभूतियों के सुचारू और सुगम ट्रांसफर को सुनिश्चित करेगा.' सेबी के नए नियमों के अनुसार, नए निवेशकों को ट्रेडिंग और डीमैट खाते खोलते समय अपनी प्रतिभूतियों के लिए 'नॉमिनी' का नाम देना होगा या घोषणापत्र के जरिए बाहर निकलने का विकल्प चुनना होगा.
हो जाएं अलर्ट
मौजूदा निवेशक (संयुक्त रूप से रखे गए म्यूचुअल फंड फोलियो सहित) यदि इस समयसीमा (30 सितंबर) को पूरा करने में विफल रहते हैं, तो उनके फोलियो को फ्रीज कर दिया जाएगा और वे उसमें से अपना निवेश नहीं निकाल पाएंगे. इसके अलावा निवेशकों के डीमैट खाते या म्यूचुअल फंड फोलियो तब तक 'फ्रीज' रहेंगे, जब तक कि वे नॉमिनी की जानकारी दर्ज नहीं करते या बाहर निकलने का विकल्प नहीं चुनते हैं.
बता दें कि जुलाई, 2021 में सेबी ने सभी मौजूदा पात्र ट्रेडिंग और डीमैट खाताधारकों को 31 मार्च, 2022 को या उससे पहले नॉमिनी का विकल्प प्रदान करने के लिए कहा था. बाद में इसे एक साल और बढ़ाकर 31 मार्च, 2023 तक कर दिया गया था. इसके बाद अंतिम तारीफ 30 सिंतबर तक के लिए बढ़ा दी गई.