RBI MPC Meeting December 2022: फिर महंगी हुई आपके लोन की ईएमआई, RBI ने 5वीं बार बढ़ाया रेपो रेट

RBI MPC Meeting December 2022: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में महंगाई को काबू करने के लिहाज से पांचवी बार रेपो रेट बढ़ाने का फैसला किया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 7, 2022, 11:23 AM IST
  • फिर से आरबीआई ने बढ़ाया रेपो रेट
  • पांचवी बार आरबीआई ने इस साल बढ़ाये हैं रेपो रेट
RBI MPC Meeting December 2022: फिर महंगी हुई आपके लोन की ईएमआई, RBI ने 5वीं बार बढ़ाया रेपो रेट

RBI MPC Meeting December 2022: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो 0.35 प्रतिशत और बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत करने का निर्णय किया. आरबीआई ने वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच मुद्रास्फीति को काबू में लाने के मकसद से यह कदम उठाया है. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है. रेपो दर में वृद्धि का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ेगी. 

फिर से आरबीआई ने बढ़ाया रेपो रेट

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने टेलीविजन पर प्रसारित बयान में कहा, ‘‘मौजूदा आर्थिक स्थिति पर विचार करते हुए एमपीसी ने नीतिगत दर रेपो 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत करने का निर्णय किया है.’’ 

आरबीआई मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये इस साल मई से लेकर अबतक पांच बार में रेपो दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है. दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 6.7 प्रतिशत पर रहेगी. यह केंद्रीय बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से अधिक है. दास ने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति अभी भी ऊंची बनी हुई है, ऐसे में मौद्रिक नीति के स्तर पर सूझ-बूझ की जरूरत है.

आर्थिक वृद्धि दर घटने के बावजूद तेजी से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

आरबीआई के गवर्नर दास ने कहा कि रिजर्व बैंक आंकड़ों पर गौर करने के बाद उसी के आधार पर नीतिगत कदम उठाएगा. आगामी महीनों में नकदी की स्थिति सुधरेगी. आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को मामूली रूप से घटाकर 6.8 प्रतिशत करने के बावजूद भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है. डॉलर के मजबूत होने के बीच अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये में कम उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. 

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया, तीसरी तिमाही में इसके 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.9 प्रतिशत रहने की संभावना. दो दिसंबर को यह बढ़कर 551.2 अरब डॉलर हुआ. 21 अक्टूबर को यह 524 अरब डॉलर पर था.

पांचवी बार आरबीआई ने इस साल बढ़ाये हैं रेपो रेट

आरबीआई मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये इस साल मई से लेकर अबतक पांच बार में रेपो दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है. दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 6.7 प्रतिशत पर रहेगी. यह केंद्रीय बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से अधिक है. दास ने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति अभी भी ऊंची बनी हुई है, ऐसे में मौद्रिक नीति के स्तर पर सूझ-बूझ की जरूरत है. 

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