Weather Update: दिल्ली-एनसीआर में 10 गुना बढ़ा प्रदूषण, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

दिल्ली में मंगलवार को धूलभरी तेज हवाएं चलने के कारण पीएम 10 प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ गया तथा धूलकणों में वृद्धि के साथ ही धूल भरे कोहरे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 16, 2023, 07:03 PM IST
  • जानिए मौसम विभाग ने क्या कहा
  • इन लोगों को सुरक्षित रहने को कहा
Weather Update: दिल्ली-एनसीआर में 10 गुना बढ़ा प्रदूषण, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

नई दिल्लीः दिल्ली में मंगलवार को धूलभरी तेज हवाएं चलने के कारण पीएम 10 प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ गया तथा धूलकणों में वृद्धि के साथ ही धूल भरे कोहरे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रात: तीन बजे से छह बजे तक धूल भरी आंधी 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली जिससे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के समीप पालम वेधशाला में पूर्वाह्न 10 बजे दृश्यता घटकर महज 700 मीटर रह गयी जो बीती सुबह नौ बजे 4000 मीटर थी. 

प्रदूषण स्तर में भारी इजाफा
दिल्ली में मंगलवार को अपराह्न तीन बजे संपूर्ण वायु गुणवत्ता सूचकांक 260 रहा जो सोमवार को अपराह्न चार बजे 162 था. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़े में जहांगीरपुरी में पीएम 10 स्तर प्रति घनमीटर 3,826 माइक्रोग्राम तथा सर अरबिंदो मार्ग पर प्रति घनमीटर 2,565 माइक्रोग्राम था. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पीएम 10 स्तर प्रति घन मीटर 100 माइक्रोग्राम (24 घंटे की अवधि के लिए) सुरक्षित माना जाता है. 

जारी की ये चेतावनी
मौसमविज्ञानियों ने पश्चिमोत्तर भारत में भयंकर गर्मी, वर्षा के अभाव में मिट्टी फैलने और तेज हवा चलने को इस धूलभरे मौसम के लिए जिम्मेदार ठहराया है. विशेषज्ञों ने कहा है कि धूल के कण, विशेष रूप से महीन कण पदार्थ (पीएम2.5), सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं. वे फेफड़ों में परेशानी पैदा कर सकते हैं, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी जैसी श्वसन समस्याओं को बढ़ा सकते हैं . 

अटैक का खतरा बढ़ा
सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ जुगल किशोर ने कहा, "धूल प्रदूषण के कारण ब्रोंकाइटिस, ब्रोन्कियल अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों को अधिक खतरा होता है. इससे उनकी स्थिति और खराब हो सकती है और अटैक आ सकता है."

 डा. किशोर ने कहा कि ऐसे लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि हवा की गुणवत्ता में सुधार होने तक घर के अंदर ही रहें और गीले कपड़े से अपनी नाक और मुंह ढक लें. उन्होंने कहा कि सरकार तब तक निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकती है.

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