कितना सुरक्षित है बैंकों में आपका पैसा? मुनाफे में हैं बैंक या सेहत को लेकर सता रही चिंता?

RBI ने इससे पहले जनवरी में जब अपनी FSR रिपोर्ट जारी की थी उस वक्त का अनुमान सितंबर 2021 तक करीब 13.5 % था जो 22 साल के उच्चतम स्तर पर रहेगा

Written by - Pratyush Khare | Last Updated : Aug 13, 2021, 04:14 PM IST
  • जानिए कितना बढ़ा है एनपीए
  • इससे कितना फायदा कितना नुकसान
कितना सुरक्षित है बैंकों में आपका पैसा? मुनाफे में हैं बैंक या सेहत को लेकर सता रही चिंता?

नई दिल्लीः एक बड़ी कहावत है कि जितनी बड़ी चादर हो उतना ही पांव पसारना चाहिए यानी अपनी जेब देखकर ही खर्च का सोचना चाहिए. लेकिन बैंक से कर्ज लेते वक्त कई लोगों को पता नहीं होता कि उसे चुकता कैसे करेंगे इनमें से कई हालात की वजह से तो कई जानबूझकर कर्ज चुकाना नहीं चाहते, जिससे बैंक की हालत खस्ता हो जाती है.

अब सोचिए अगर इकॉनमी में जान फूंकने वाले बैंक ही बीमार पड़ने लगे तो लोगों का क्या होगा, आखिर क्या है आज बैंको की माली हालत ? कितना और क्यों बढ़ रहा है एनपीए ? बैंक डूबा तो आपकी जमा पूंजी का क्या होगा ? ऐसे कई सवाल हैं जो लोगों को परेशान करते हैं आइए इन्हीं सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं

2022 में कितना बढ़ सकता बैंकों का NPA?
भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2022 के मार्च तक बैंकों का NPA ( Non Performing Asset ) काफी बढ़ने वाला है और यह 9.8 % तक हो सकता है और बहुत ज़्यादा दबाव की स्थिति में बढ़कर 11.22 % तक जा सकता है. जबकि मार्च 2021 में यानी बीते वित्त वर्ष में ये 7.48% था.

RBI ने इससे पहले जनवरी में जब अपनी FSR रिपोर्ट जारी की थी उस वक्त का अनुमान सितंबर 2021 तक करीब 13.5 % था जो 22 साल के उच्चतम स्तर पर रहेगा . रिपोर्ट कहती है इसमें सबसे ज़्यादा नुकसान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों यानी सरकारी बैंकों को हो सकता है. जिनका ग्रॉस एनपीए जो मार्च 2021 में 9.54 % था वो मार्च 2022 में बढ़कर 12.52% हो सकता है. जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों का ग्रॉस एनपीए 6.46 % तक हो सकता है.

हालांकि RBI  के मुताबिक बैंको के पास इतनी पूंजी होगी कि वो इस नुकसान से निपट सकते हैं . एनपीए वो कर्ज या लोन होता है जिससे बैंक को रिटर्न मिलना बंद हो जाता है नियम के मुताबिक अगर किसी लोन की EMI मूलधन या ब्याज ड्यू डेट के 90 दिनों के भीतर नहीं आती तो उसे एनपीए में डाल दिया जाता है इसे बैड लोन भी कह सकते हैं .

कितने लोग डकार गए कर्ज , कितनी रकम गई बट्टा खाते में?
बैंको के सामने सबसे बड़ी समस्या लोन रिकवरी की होती है खासकर विलफुल डिफॉल्टर्स यानी जान-बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले लोगों से पैसे निकलवाना. ऐसे लोगों की तादाद 2208 से बढ़कर 31 मार्च 2021 तक 2,494 हो गई है . पिछले 3 सालों में संख्या बढ़ ही रही है 31 मार्च 2019 को संख्या जहा 2,017 थी.

ये भी पढ़ें- Independence day 2021: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कैसे लिखें एक बेहतरीन Essay

वहीं 31 मार्च 2020 को बढ़कर 2,208 और 31 मार्च 2021 को 2,494 हो गई. रही बात बट्टा खाते में गई रकम की तो वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 1,31,894 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले. इससे पहले के वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 1,75,876 करोड़ रुपये था . बैंक उसी कर्ज को बट्टा खाते में डालते हैं जहां उसे कर्ज का कुछ भी मूल्य मिलने की उम्मीद नहीं होती फिर उसकी वसूली के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाती है

भगोड़ों से अब तक कितनी वसूली?
सवाल है कि करे कोई भरे कोई ये क्यों ? बड़ी मछलियां बैंकों को चूना लगा कर भाग जाती हैं नुकसान आम आदमी उठाता है लेकिन अब उनसे वसूली की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है  ईडी ने भगोड़े आरोपी विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की अबतक 18,170.02 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है.

ये भी पढ़ें- Post Office की इस योजना में हर दिन 95 रुपये जमाकर पाएं 14 लाख का मुनाफा!

ईडी के मुताबिक तीनों भगौड़े कारोबारियों की वजह से बैंकों को 22585.83 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ जिसका 80 फीसदी इनकी सम्पत्ति जब्त कर वसूला जा चुका है . ईडी ने कुल जब्त संपत्ति में से 9371.17 करोड़ रुपए सरकारी बैंकों को ट्रांसफर भी कर दिए हैं .

विपरीत हालात में भी बैंको को मुनाफा कैसे?
एनपीए के बावजूद बैंको को मुनाफा हुआ है देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI को इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का मुनाफा हुआ है . इस खबर के बाद शेयर बाजार में कारोबार के दौरान बैंक के स्टॉक को ऑल टाइम हाई टच करते देखा गया  . बैंक के मुनाफे में 55.3 फीसदी की वृद्धि हुई है . पिछले साल की समान तिमाही में मुनाफा 4,189 करोड़ रुपए था, जो अब 6,504 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच चुका है .

वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक बैंक ऑफ बड़ोदा को जून तिमाही में 1208 करोड़ का फायदा हुआ है जबकि एक साल पहले समान तिमाही में बैंक को 864 करोड़ का नुकसान हुआ था बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयर में भी एक सप्ताह में 3.86 फीसदी का उछाल आया है. बैंको को एनपीए में गिरावट की वजह से मुनाफे में इजाफा हुआ है . RBI के अनुसार पिछले 3 वित्त वर्षों के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने फंसे हुए और बट्टे खाते में डाले गए कर्जो में से 3,12,987 करोड़ रुपये की वसूली भी की है.

बैंकों की गिरती सेहत का आम आदमी पर कैसा साइड इफेक्ट?  
बैंकों की सेहत बिगड़ी तो उसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ता है अर्थशास्त्र का एक मूल सिद्धांत है कि जमाकर्ताओं को बैंकों से महंगाई की तुलना में 2 फीसदी ज्यादा ब्याज मिलना चाहिए . लेकिन मौजूदा स्थिति एकदम उलट है . इस समय डिपोजिट पर ब्याज दरें ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर हैं . देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआइ बचत खाते पर केवल 2.70 फीसदी ब्याज दे रहा है, जबकि महंगाई दर 6 फीसदी से ऊपर है . बैंकों से कर्ज की मांग घटने से उनकी कमाई का मुख्य जरिया गड़बड़ा गया है.

ऐसे में बैंक आम ग्राहकों पर बोझ डाल रहे हैं. एटीएम से पैसे निकालने पर ज्यादा शुल्क, ब्रांच में पैसे जमा करने और निकालने पर फ्री सुविधा खत्म करने जैसे कदम उठाने शुरू कर दिए हैं . एसबीआइ अपने बेसिक बचत खाता धारकों से महीने में ATM से 4 बार पैसे निकालने और ब्रांच से केवल 4 बार मुफ्त लेन-देन की सुविधा दे रहा है . उसके बाद हर  लेन-देन पर 15-75 रुपये का शुल्क लेगा. ग्राहक को उस पर जीएसटी भी चुकाना होगा.

बैंक डूबा तो कैसे मिलेंगे आपके पैसे  ?  
बढ़ते NPA से बैंकों के डूबने का खतरा बना रहता है जिससे ग्राहकों को अपनी जमा पूंजी की चिंता रहती है लेकिन सरकार ने लोगों की चिंता थोड़ी कम करने की कोशिश की है फिक्स डिपोजिट से जुड़ा अहम बिल 2021 (DICGC) पास हुआ है जिसके मुताबिक बैंक डूबने की स्थिति में ग्राहकों को 90 दिन के भीतर 5 लाख तक की पूंजी की वापसी की गारंटी मिल गई है.

 डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) भारतीय रिजर्व बैंक का सब्सिडियरी है और यह बैंक जमा पर बीमा कवर उपलब्ध कराता है पहले यह बीमा राशि सिर्फ 1 लाख रुपये ही थी, लेकिन मोदी सरकार ने पिछले साल ही इसे बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है. इस बिल से 23 को-ऑपरेटिव बैंकों के खाताधारकों को फायदा होगा. ये 23 बैंक ऐसे हैं जो इस समय संकट की स्थिति में हैं और इन पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं.

पीएमसी और यस बैंक की हालत ने बढ़ाई थी चिंता
पिछले एक-दो साल में जिस तरह कई बैंक डूबने के कगार पर पहुंचे, उससे लोगों का भरोसा बैंकिंग सिस्टम को लेकर डगमगाने लगा है . लक्ष्मी विलास बैंक, पंजाब -महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (पीएमसी), यस बैंक का संकट हम सबने देखा है . पीएमसी बैंक के ग्राहक रोते बिलखते किस तरह अपने पैसों के लिए दर-दर भटक रहे थे.

 हाल ही आरबीआइ ने सेंट्रल फाइनेंशियल सर्विसेज और भारत-पे के उस प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से मंजूर कर लिया जिसमें दोनों मिलकर पीएमसी बैंक का अधिग्रहण करेंगे और उसे स्मॉल फाइनेंस बैंक के रूप में शुरू करेंगे . मार्च 2020 में यस बैंक का ऐसा ही मामला सामने आया था, जब आरबीआइ को बैंक पर मोरेटोरियम लगाना पड़ा था . उसके ग्राहक कुछ दिनों तक अपने ही पैसे नहीं निकाल सकते थे .

बैंकों के सामने सबसे बड़ी चिंता और चुनौती जानबूझ कर कर्ज ना चुकाने वालों पर लगाम कसने की है क्योंकि यही दीमक की तरह बैंकिंग सिस्टम को नुकसान पहुंचा रहे हैं सरकार ने इनसे सख्ती से निपटने और आम लोगों को कुछ राहत देने की पहल जरूर की है लेकिन भविष्य में और सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है .  

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़