नई दिल्ली: Eid-Ul-Adha 2024 Date: ईद उल-अज़हा मुस्लिम समाज के बड़े त्योहारों में शामिल है. इसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. हर साल इस त्योहार को कुर्बानी या बलिदान के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस दिन जानवर की कुर्बानी दी जाती है. फिर उसके मांस को तीन हिस्सों में बांटा जाता है.
क्यों मनाई जाती है ईद उल-अज़हा?
ईद उल-अज़हा पैगंबर इब्राहिम की कुर्बानी की याद के तौर पर मनाई जाती है. कुरआन और हदीस मेंऐसा बताया गया है कि पैगंबर इब्राहिम अल्लाह के कहने पर अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने जा रहे थे. लेकिन वे उसकी कुर्बानी देते, उससे पहले ही अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया. फिर इस्माइल की बजाय एक दुम्बा (बकरे की एक किस्म की प्रजाति) को कुर्बान किया गया. इसके बाद से ही ईद उल-अज़हा पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है. ये परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो आज भी जारी है.
इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने में मनाई जाती है ईद उल-अज़हा
इस्लामिक कैलेंडर की मानें तो साल के आखिरी महीने जिलहिज्जा का चांद देखने के 10 दिन बाद बकरीद मनाई जाती है. स्पष्ट कर दें कि ये रोमन कैलंडर का आखिरी महीना नहीं बल्कि इस्लामिक कैलंडर का आखिरी माह होता है.
ईद उल-फितर के कितने दिन बाद मनाई जाती है?
ईद उल अज़हा की तारीख जानने का एक और तरीका है. ईद उल-फितर के 2 महीने 9 दिन बाद बकरीद मनाई जाती है.
तीन हिस्सों में बंटता है मांस
ईद उल-अज़हा के दिन जिस जानवर की कुर्बानी दी जाती है, उसका मांस तीन हिस्सों में बंटता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि समाज में भाईचारा बना रहे.
पहला हिस्सा: गरीब और जरूरतमंदों को को दिया जाता है.
दूसरा हिस्सा: रिश्तेदारों और दोस्तों को दिया जाता है.
तीसरा भाग: खुद के लिए रखा जाता है.
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