टीबी के इलाज को लेकर अपडेट, जल्द शुरू होगा नए बीसीजी टीके का क्लीनिकल परीक्षण

भारत में टीबी (तपेदिक) के लिए एक नए बीसीजी टीके का क्लीनिकल परीक्षण जल्द शुरू किया जाएगा. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के पूर्व महानिदेशक डॉ. शेखर मांडे ने शुक्रवार को यह बात कही. वह नागपुर में भारतीय विज्ञान कांग्रेस को संबोधित कर रहे थे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 6, 2023, 06:37 PM IST
  • 'नई दवाओं और टीकों पर केंद्रित कर रहे ध्यान'
  • भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य
टीबी के इलाज को लेकर अपडेट, जल्द शुरू होगा नए बीसीजी टीके का क्लीनिकल परीक्षण

नई दिल्लीः भारत में टीबी (तपेदिक) के लिए एक नए बीसीजी टीके का क्लीनिकल परीक्षण जल्द शुरू किया जाएगा. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के पूर्व महानिदेशक डॉ. शेखर मांडे ने शुक्रवार को यह बात कही. वह नागपुर में भारतीय विज्ञान कांग्रेस को संबोधित कर रहे थे. 

तकनीक ने की डॉक्टरों व रिसर्चर्स की मदद
इससे पहले, उन्होंने ‘बायोफिजिकल मेथेड इन ट्यूबरक्लोसिस रिसर्च’ विषय पर एक प्रस्तुति दी और बताया कि कैसे तकनीक ने टीबी के संक्रमण को बेहतर ढंग से समझने में डॉक्टरों और शोधकर्ताओं की मदद की है, जिससे इस संक्रामक बीमारी से निपटने के उपाय ईजाद किए जा सके हैं. 

'नई दवाओं और टीकों पर केंद्रित कर रहे ध्यान'
बाद में संवाददाताओं से बातचीत में डॉ. मांडे ने कहा कि सीएसआईआर सरकार की परिकल्पना के अनुसार भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए निदान, टीकाकरण और उपचार की दिशा में तेजी से काम कर रहा है. उन्होंने कहा, “हम मुख्य रूप से टीबी के लिए नई दवाओं और टीकों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हम टीबी पर अनुसंधान के लिए जरूरी संसाधन जुटा रहे हैं और लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं.”

डॉ. मांडे ने बताया कि चेन्नई स्थित राष्ट्रीय क्षय रोग अनुसंधान संस्थान टीबी के लिए नए बीसीजी टीके का क्लीनिकल परीक्षण शुरू करेगा. बैसिलस कैलमेट-ग्यूरिन (बीसीजी) टीबी से बचाव के लिए लगाया जाने वाला प्रमुख टीका है. 

भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य
इंडिया टीबी रिपोर्ट-2022 के मुताबिक, वर्ष 2021 में टीबी मरीजों (नए और दोबारा संक्रमित हुए मरीज) की संख्या 19.3 लाख के आसपास दर्ज की गई थी. भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के सरकारी लक्ष्य के बारे में पूछे जाने पर डॉ. मांडे ने कहा, “देश में विभिन्न एजेंसियों में बेहद महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं. स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, जैव-प्रौद्योगिकी विभाग, सीएसआईआर, ये सभी भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाना बहुत बड़ी चुनौती है, क्योंकि देश में संक्रमितों की संख्या काफी अधिक है. 

भारत की 30% आबादी के टीबी की चपेट में आने का अनुमान
डॉ. मांडे ने कहा, “माना जाता है कि भारत की 30 फीसदी आबादी पहले ही माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस (टीबी के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया) से संक्रमित हो चुकी है. लेकिन, अच्छी खबर यह है कि इन 30 फीसदी लोगों में से लगभग 90 फीसदी अपने जीवन में फिर कभी टीबी की चपेट में नहीं आएंगे, जबकि महज 10 प्रतिशत लोगों में जीवन के किसी पड़ाव में दोबारा टीबी की समस्या उभरेगी. हमारा लक्ष्य इन 10 प्रतिशत लोगों में भी संक्रमण के जोखिम को खत्म करना है.” 

'टीबी को नियंत्रित करने का तरीका है डीओटीएस थेरेपी'
उन्होंने उम्मीद जताई, “2025 तक हम इन 10 फीसदी लोगों में भी टीबी के खतरे को समाप्त कर भारत को टीबी मुक्त बनाने में सफल होंगे. इस लक्ष्य को हासिल करने के कई उपाय हैं.” डॉ. मांडे ने कहा, “मिसाल के तौर पर टीबी को नियंत्रित करने का सबसे आशाजनक जरिया ‘डीओटीएस थेरेपी’ है, जिसमें मरीज डॉक्टर की निगरानी में दवाएं लेता है. उसे छह से आठ महीने तक सर्वश्रेष्ठ इलाज दिया जाता है.” 

(इनपुटः भाषा)

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