Paralympics: कौन हैं पैरालंपिक में इतिहास रचने वाले भारतीय अफसर? टोक्यो में सिल्वर दिलाया, पेरिस में लाएंगे गोल्ड

Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक में भारत का अब तक सबसे बड़ा दल हिस्सा लेने जा रहा है. पैरालंपिक में 84 एथलीट हिस्सेदारी लेंगे. इसमें भारत की पदक की उम्मीद और आईएएस अधिकारी सुहास एलवाई भी शामिल हैं. उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में भारत को सिल्वर मेडल दिलाया था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 26, 2024, 08:37 PM IST
  • डीएम रह चुके हैं सुहास एलवाई
  • टोक्यो में जीता था सिल्वर मेडल
Paralympics: कौन हैं पैरालंपिक में इतिहास रचने वाले भारतीय अफसर? टोक्यो में सिल्वर दिलाया, पेरिस में लाएंगे गोल्ड

नई दिल्लीः Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक 2024 की शुरुआत 28 अगस्त से होनी जा रही है. ये 8 सितंबर तक चलेगा. इसमें भारत की ओर से 84 एथलीट हिस्सा लेंगे. इस पैरालंपिक में भारत का सबसे बड़ा दल हिस्सा लेने जा रहा है. इससे पहले टोक्यो पैरालंपिक में 54 एथलीट गए थे. टोक्यो पैरालंपिक भारत का सबसे सफल पैरालंपिक था जिसमें भारतीय दल ने 5 गोल्ड मेडल, 8 सिल्वर मेडल और 6 ब्रॉन्ज मेडल जीते थे. भारत ने कुल 19 पदक जीते थे.

पैरालंपिक के लिए जाने वाले भारतीय दल में कुल 179 सदस्य होंगे जिनमें 95 अधिकारी होंगे. भारत के दल में भाला फेंक में सुमित अंतिल, निशानेबाजी में अवनि लेखरा, बैडमिंटन में सुहास एलवाई समेत अन्य एथलीट होंगे.

टोक्यो में जीता था सिल्वर मेडल

सुहास एलवाई आईएएस अधिकारी हैं जिन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में रजत पदक जीता था. सुहास एलवाई भारतीय शटलर हैं. सुहास एलवाई ने टोक्यो पैरालंपिक में मेंस सिंगल्स SL4 में मेडल अपने नाम किया था. इस बार भी वह भारतीय दल में हैं और मेंस सिंगल्स SL4 में अपनी दावेदारी करेंगे.

डीएम रह चुके हैं सुहास एलवाई

सुहास एलवाई 2007 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. वह गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी रह चुके हैं. इसके बाद उन्हें डीएम के तौर पर प्रयागराज भेजा गया था. अभी वह उत्तर प्रदेश सरकार के युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल के सचिव और महानिदेशक का पद संभाल रहे हैं. वह अर्जुन पुरस्कार विजेता भी हैं. यह पुरस्कार खेल में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया.

कर्नाटक के शिगोमा में जन्मे सुहास एलवाई जन्म से ही दिव्यांग थे. सुहास एलवाई के बारे में कहा जाता है कि वह बचपन में खेलों के प्रति काफी जुनूनी थी. उन्हें इसमें उनके पिता का पूरा साथ मिला था. लेकिन 2005 में पिता की मौत के बाद उनके सपने टूट गए. इसके बाद उन्होंने सिविल सेवाओं की तैयारी की और यूपीएससी पास की. सुहास एलवाई ऐसे इकलौते डीएम रह चुके हैं जिन्होंने ओलंपिक मेडल जीता है.

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