IND vs AUS,4th Test: ‘अगर थोड़ा भाग्य साथ देता तो..’, करियर का पहला शतक ठोकने के बाद भी संतुष्ट नहीं हैं कैमरुन ग्रीन

IND vs AUS,4th Test: ऑस्ट्रेलिया के ऑलराउंडर कैमरन ग्रीन आखिर में सातवीं बार अर्धशतक को शतक में तब्दील करने में सफल रहे और यह बोझ उतरने के बाद उन्हें अब टेस्ट क्रिकेटर की तरह अहसास हो रहा है. 

Written by - Vineet Kumar | Last Updated : Mar 11, 2023, 09:05 AM IST
  • अब उतर गया है ग्रीन के मन से बोझ
  • भाग्य का साथ मिलता तो लगाता दोहरा शतक
IND vs AUS,4th Test: ‘अगर थोड़ा भाग्य साथ देता तो..’, करियर का पहला शतक ठोकने के बाद भी संतुष्ट नहीं हैं कैमरुन ग्रीन

IND vs AUS,4th Test: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही 4 मैचों की बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सीरीज का आखिरी मैच अहमदाबाद के मैदान पर खेला जा रहा है, जिसकी पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने अच्छी बल्लेबाजी करते हुए 480 रन का स्कोर खड़ा किया है. ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिये इस मैच में उसके सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा ने 180 रनों की शानदार पारी खेली तो वहीं पर चोट के बाद वापसी करने वाले हरफनमौला खिलाड़ी कैमरन ग्रीन ने भी भरपूर साथ देते हुए अपने टेस्ट करियर का पहला शतक लगाया.

अब उतर गया है मन से बोझ

कैमरुन ग्रीन अपना 20वां ही टेस्ट मैच खेल रहे हैं जिसमें यह 7वां मौका था जब उन्होंने 50 रन के आंकड़े को पार किया लेकिन यह पहला ही मौका बना जब वो अपनी अर्धशतकीय पारी को शतक में तब्दील कर पाये. कैमरुन ग्रीन ने भारत के खिलाफ अहमदाबाद टेस्ट की पहली पारी में114 रन बनाए. टेस्ट करियर के 20वें मैच में पहला शतक लगाने के बाद कमरुन ग्रीन ने कहा कि अब जाकर उन्हें टेस्ट क्रिकेट होने का अहसास हो रहा है.

मैच के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बात करते हुए ग्रीन से कहा,‘जब आपकी पीठ से इस तरह का बोझ उतर जाता है तो फिर आप एक टेस्ट क्रिकेटर की तरह महसूस करते हैं. इसलिए यहां शतक जड़ना शानदार रहा. यह मेरे लिए विशेष है.’

बिना सोचे ही बन गया शतक

उल्लेखनीय है कि भारतीय गेंदबाजों विशेषकर उमेश यादव ने ग्रीन को कुछ ढीली गेंदे की जिसका फायदा उठाकर यह ऑलराउंडर तेजी से रन बनाने में सफल रहा. इससे पहले ग्रीन का बेस्ट स्कोर 84 रन था और इसलिए उनकी यह पारी निश्चित तौर पर विशेष है.

ग्रीन ने कहा,‘मुझे लगता है कि थोड़ा भाग्य ने भी मेरा साथ दिया जिससे मैं 70 से 80 और फिर 90 रन तक तेजी से पहुंचा. इससे मुझे थोड़ा मदद मिली और मुझे शतक के बारे में सोचने का ज्यादा समय नहीं मिला. यह वास्तव में विशेष पारी है. निश्चित तौर पर लंच पर शतक के करीब (95 रन) होने से ऐसा लगा कि वह 40 मिनट जैसे एक घंटा 40 मिनट हों. लेकिन मैं उज्जी (ख्वाजा का उपनाम) के साथ बल्लेबाजी कर रहा था और पूरे समय दूसरे छोर पर मेरे साथ एक अनुभवी खिलाड़ी था. उसने बेहतरीन बल्लेबाजी की और इससे मुझे काफी मदद मिला. अगर भाग्य ने थोड़ा और साथ दिया होता तो इस पिच पर 200 भी बन सकते हैं.’

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