AIFF पर बाईचुंग भूटिया ने लगाए सौदेबाजी के आरोप, जानिए क्या है पूरा मामला

भूटिया ने शाजी प्रभाकरन के महासचिव के रूप में नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि किसी मतदाता को वेतनभोगी पद पर नियुक्त करना गलत मिसाल कायम करेगा. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 17, 2022, 08:57 PM IST
  • प्रभाकरन की नियुक्ति से भड़के भूटिया
  • सौदेबाजी और नियमों के उल्लंघन के गंभीर आरोप
AIFF पर बाईचुंग भूटिया ने लगाए सौदेबाजी के आरोप, जानिए क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली: अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (AIFF) के अध्यक्ष चुनाव में बड़े अंतर से शिकस्त झेलने वाले भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया ने महासंघ पर गंभीर आरोप लगाए हैं. 

भूटिया ने शाजी प्रभाकरन के महासचिव के रूप में नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि किसी मतदाता को वेतनभोगी पद पर नियुक्त करना गलत मिसाल कायम करेगा. प्रभाकरन ‘फुटबॉल दिल्ली’ के प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचक मंडल में थे. जिन्हें अध्यक्ष चुनाव के  बाद एआईएफएफ महासचिव बनाया गया था. 

प्रभाकरन की नियुक्ति से भड़के भूटिया

उनके महासचिव नियुक्त होने से पहले दो सितंबर को हुए अध्यक्ष चुनाव में पूर्व गोलकीपर कल्याण चौबे ने भूटिया को 33-1 से हराया था. भूटिया ने एआईएफएफ से उनके द्वारा उठाए गए प्रभाकरन की नियुक्ति के इस मुद्दे को सोमवार को कोलकाता में होने वाली कार्यकारी समिति की बैठक के एजेंडे में शामिल करने का अनुरोध किया है. 

एआईएफएफ महासचिव के रूप में कार्यभार संभालने से एक दिन पहले प्रभाकरन ने छह सितंबर को फुटबॉल दिल्ली के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. भूटिया ने आरोप लगाया कि अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान मतदाता रहे किसी को बाद में महासंघ में वेतनभोगी पद पर नियुक्त करना ‘सौदेबाजी’ की तरह है. 

सौदेबाजी और नियमों के उल्लंघन के गंभीर आरोप

भूटिया ने शनिवार को कहा, ‘‘ वह (प्रभाकरन) एक मतदाता थे और एक संघ (फुटबॉल दिल्ली) के अध्यक्ष थे, उन्हें वेतनभोगी पद पर नियुक्त करना एक गलत मिसाल कायम करेगा. अगर उन्हें किसी मानद पद पर नियुक्त किया जाता तो मुझे कोई समस्या नहीं होती. अगली बार भी मतदाता चुनाव के बाद वेतनभोगी पद के लिए सौदेबाजी करेगा.’’ खिलाड़ी के तौर पर लंबे समय तक भारतीय फुटबॉल के ‘पोस्टर ब्वॉय’ रहे भूटिया ने 2011 में संन्यास लिया था. उन्होंने कहा, ‘‘अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी राज्य संघ का अध्यक्ष और मतदाता वेतनभोगी पद पर नियुक्त हुआ हो.’’ 

कल्याण चौबे से चुनाव हार गए थे भूटिया

प्रभाकरन ने इस मामले में अपना बचाव करते हुए कहा कि मैंने अच्छी नीयत से भारतीय फुटबॉल की सेवा करने के मकसद से इस पद को स्वीकार किया. इसमें कोई लेन-देन नहीं था. उन्होंने कहा, ‘‘भूटिया कार्यकारी समिति के सदस्य हैं और वह मामलों को उठाने के लिए स्वतंत्र हैं. जब वह बैठक (सोमवार को)  के दौरान इस मुद्दे को उठाते हैं, तो मुझे यकीन है कि कार्यकारी समिति इस पर कोई फैसला (इस पर चर्चा होगी या नहीं) करेगी.’’ 

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एआईएफएफ महासचिव आम तौर पर मतदान के अधिकार के बिना कार्यकारी समिति का पदेन सदस्य होता है. भूटिया मतदान के अधिकार के साथ एआईएफएफ कार्यकारी समिति में शामिल छह पूर्व खिलाड़ियों में से एक हैं. वह तीन सितंबर को निकाय की पहली बैठक में शामिल नहीं हुए, लेकिन उन्होंने कहा कि वह सोमवार को कोलकाता में होने वाली बैठक में मौजूद रहेंगे.

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