जयपुर: राजस्थान में चल रहा राजनीतिक गतिरोध अब चरम पर है.14 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले अशोक गहलोत बागी विधायकों को मनाने में जुटे हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पर भी राजद्रोह का शिकंजा कसा गया था और अशोक गहलोत को लगा था कि इससे बागियों के मन में कुछ डर आएगा लेकिन वे नाकाम रहे.
NIA के पास केस जाने का डर
आपको बता दें कि गहलोत सरकार ने तय किया है कि बागी विधायक भंवर लाल शर्मा पर दर्ज राजद्रोह के मुकदमे को वापस लिया जाएगा, क्योंकि राजद्रोह से जुड़े हुए मामले की जांच बिना राज्य सरकार की इजाजत के जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अपने पास ले सकती है.
विरोधियों के वॉयस सैंपल नहीं लेगी राजस्थान सरकार
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फैसला किया है कि टेप रिकॉर्डिंग के मामले वो वॉयस सैंपल नहीं लेंगे. आज मजिस्ट्रेट कोर्ट में राजस्थान सरकार ने यह भी कह दिया कि वह कांग्रेस से निलंबित विधायक भंवरलाल शर्मा, विश्वेंद्र सिंह और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की आवाज की जांच नहीं करना चाहती है.
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ACB को सौंपी जाएगी मामले की जांच
राजस्थान उच्च न्यायालय में गहलोत सरकार ने कहा कि हम स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) से मामले लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को मामला देना चाहते हैं. इससे पहले गहलोत सरकार ने सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया था.
गौरतलब है कि गहलोत खेमे के सभी विधायकों को जैसलमेर स्थित सूर्यगढ़ रिजॉर्ट में शिफ्ट किया जा चुका है. कांग्रेस को डर है कि उसके विधायक पाला बदल सकते हैं और भाजपा से हाथ मिला सकते हैं. इससे अभिप्राय ये है कि कांग्रेस को अपने विधायकों की निष्ठा पर भरोसा नहीं है. बता दें कि राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र के लिए 14 अगस्त की तारीख दी है, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी अपने विधायकों को एकजुट रखने में लगी है.