नई दिल्लीः कोरोना महामारी के बाद जहां सबकी जिंदगी बदली है, वहीं महिलाओं की जिदंगी में खासतौर पर कई बदलाव आए हैं. वैश्विव महामारी के बीच भारतीय महिलाओं के लिए यह दौर अधिक मुश्किल भरा रहा है. उनकी प्रोफेशनल से लेकर पर्सनल लाइफ तक में बड़े असर आए हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक अब महिलाओं की जीवन शैली और यहां तक प्यार और शादी तक को लेकर विचारों में बड़े बदलाव आ रहे हैं. युवतियों में डेटिंग ऐप का इस्तेमाल बढ़ा है साथ ही वह सच्चे प्रेम की तलाश भी कर रही हैं.
यह रिपोर्ट सामने आई है एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बबल ए आई के जरिए. दरअसल बबल ए आई सोशल मीडियम उपलब्ध कराने वाली साइटों फेसबुक, व्हाट्सअप, टिंडर व अन्य पर लोगों के बीच होने वाली बातचीत को लेकर सर्वे करती है. इस सर्वे की बुनियाद होती है कि आधुनिक तकनीकि के दौर में समाज किस तरह के संवाद स्थापित कर रहा है और आपसी बातचीत का स्तर क्या है.
डेटिंग ऐप पर सच्चे प्रेम की तलाश
रिपोर्ट में किया गया सर्वे महिलाओं पर आधारित था. इसमें सामने आया है कि टिंडर, बंबल, हिंज, हैप्पन, ओके क्यूपिड जैसे डेटिंग ऐप के बढ़ते इस्तेमाल के बीच 72 फीसदी महिलाएं डेटिंग और सच्चे प्रेम की तलाश के बारे में बातें कर रही हैं. प्रतिशत में यह आंकड़ा सिर्फ भारतीय महिलाओं का है.
2020 में एक मीडिया रिपोर्ट में टिंडर की ओर से दावा किया गया था कि दुनियाभर में हर हफ्ते 10 लाख डेट्स उनके ऐप के जरिए होती है. अब तक 30 अरब से ज़्यादा लोगों ने एक-दूसरे को मैच कर लिया है. टिंडर का इस्तेमाल 190 से ज्यादा देशों में लोग कर रहे हैं.
जीवनशैली में हुए बड़े बदलाव
भारतीय युवतियों की जीवनशैली में बढ़ते शहरीकरण, पश्चिमी सभ्यता के अधिक संपर्क में आने के चलते बड़े बदलाव हुए हैं. इसका नतीजा है कि वह न सिर्फ करियर को लेकर आजाद हो रही हैं, बल्कि जिंदगी के अहम फैसलों प्यार और शादी पर भी रुक कर सोच रही हैं. इससे भी अधिक तवज्जो ऐप सर्विस को दे रही हैं.
सिंगल युवतियों के अलावा भी वे लड़कियां या महिलाएं जो किसी रिश्ते में हैं उन पर भी बबल ए आई का सर्वे नजर डालता है. सर्वेक्षण में एक दिलचस्प बात यह भी सामने आई है कि जनवरी से लेकर फरवरी तक के दो महीनों के दौरान औसतन एक महिला ने 18 बार से अधिक ‘सॉरी' शब्द का इस्तेमाल किया. इसके बाद, औसतन एक महिला ने 16 बार ‘लव' और 15 बार ‘हूं' कहा.
सेहत के लिए जागरूक 55 फीसदी से अधिक महिलाएं
जनवरी 2021 से पिछले दो महीने में करवाए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट में दर्ज है कि 55 फीसदी से अधिक महिलाएं अपनी सेहत और फिटनेस को लेकर जागरूक हैं. इसके साथ ही वह अपनी दोस्तों के बीच जानकारी और चिंताएं भी अधिक खुलकर साझा कर रही हैं.
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उद्यमी बनने के सपने देख रही हैं महिलाएं
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनामी (सीएमआईई) के अनुसार महिलाओं की श्रम बल में पहले से ही कम भागीदारी को और कम कर दिया है जो कि सकते में डालने वाली बात है. इसमें कहा गया है कि वर्किंग प्लेस पर 71 फीसदी कामकाजी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की मौजूदगी दर 11 प्रतिशत रह गई है.
कार्य स्थलों पर इतनी कम महिलाओं के साथ महिलाओं में बेरोजगारी की दर पुरुषों के 6 फीसदी के मुकाबले 17 फीसदी हो गई है. सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई है कि कोविड-19 के दौर से निकलने के लिए संघर्ष कर रही महिलाएं अब अपनी सेहत पर अधिक ध्यान देने के साथ ही कोई कारोबार शुरू कर आत्मनिर्भरता हासिल करने व उद्यमी बनने के सपने देख रही हैं.
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