नई दिल्लीः राजस्थान में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर सियासी सरगर्मी तेज है. बीजेपी ने राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी पर्यवेक्षकों के नाम का ऐलान कर दिया है, जो तमाम बैठकों के बाद ये फैसला लेंगे कि आखिर राज्य का सीएम कौन होगा. हालांकि, एक सवाल उठ रहा है कि आखिर राजस्थान के लिए बीजेपी ने रक्षा मंत्री राजस्थान सिंह के नाम का ऐलान क्यों किया? आइए इसकी वजह जानते हैं...
अनुभवी नेता हैं राजनाथ सिंह
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राजनाथ सिंह बीजेपी के वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं, जो जमीनी स्तर से उठकर, संगठन में होते हुए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के पद तक पहुंचे. वो दो बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्ही के कार्यकाल के दौरान नरेंद्र मोदी चुनाव जीते और प्रधानमंत्री भी बने.बीजेपी को हर संकट की घड़ी में जिस मजबूत चेहरे की जरूरत होती है, उनमें से एक राजनाथ सिंह भी हैं.
वसुंधरा से अच्छा है तालमेल
जानकार बताते हैं कि राजनाथ सिंह का राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से तालमेल अच्छा है. जब राजनाथ पहली बार पार्टी अध्यक्ष थे तब राजे राजस्थान की सीएम थीं. राजनाथ सिंह के अलावा दो अन्य पर्यवेक्षक जो पार्टी संगठन से जुड़े 2 बड़े नाम हैं. राज्यसभा सांसद सरोज पांडे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को इसलिए जयपुर भेजा जा रहा है ताकि सभी विधायकों से वन टू वन संवाद कर सभी विधायकों को संगठित किया जा सके.
सुलझाया था पुराना विवाद
रिपोर्ट्स के अनुसार, वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल में सांसद दिया कुमारी और वसुंधरा राजे के बीच राजमहल के जमीनी विवाद को ध्यान में रखते हुए राजनाथ सिंह को भेजा है क्योंकि उस विवाद में राजनाथ सिंह ने ही वसुंधरा राजे और दिया कुमारी के बीच मुख्य भूमिका निभाते हुए सुलह करवाई थी.
रिपोर्ट्स की मानें तो राजस्थान में बीजेपी विधायक दल की बैठक रविवार (10 दिसंबर) को बुलाई जाएगी. बैठक में तीनों पर्यवेक्षकों भी शामिल होंगे.
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