नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने चालू वित्त वर्ष में एक बार फिर रेपो रेट में वृद्धि की है. यह वृद्ध आम लोगों की जिंदगी पर विभिन्न रूपों में असर डालेगी. आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने रेपोरेट में 25 बीपीएस यानी 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है. अब यह 6.5 फीसदी हो गई है. MPC के 6 में से चार सदस्यों ने रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में वोट किया. यह ऐलान आबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने किया है. बीते साल मई महीने से लेकर अब तक 6 बार रेपोरेट में वृद्धि की गई है.
आरबीआई के ताजा फैसले के बाद अब बैंकों से मिलने वाला लोन महंगा हो सकता है. कार लोन, होम लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई पर इस फैसले का असर होगा. इसी के साथ आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 6.4 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया है. अगले वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 4 प्रतिशत से ऊपर रह सकती है.
क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट का मतलब होता है कि केंद्रीय रिजर्व बैंक द्वारा अन्य बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर. यह बता दें कि आरबीआई को बैंकों का बैंक कहा जाता है. बैंक इस चार्ज से अपने ग्राहकों को लोन प्रदान करता है. रेपो रेट कम होने का अर्थ है की कस्टमर को कम ब्याज दर पर होम लोन और गाड़ियों के लिए लोन मिलते हैं.
आम आदमी की जेब पर असर
जाहिर सी बात है कि जब बैंकों कर्ज महंगी दर पर मिलता है तो अपने ग्राहकों के लिए भी इसे बढ़ाते हैं. यानी इसका सीधा असर आम आदमी की पॉकेट पर होता है. वहीं रेपो रेट के ठीक विपरीत होती है रिवर्स रेपो रेट. यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है.
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