पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव नतीजे: हिंसा के बीच TMC बनी 'किंग', विपक्ष की अगली बैठक में चलेगा ममता का सिक्का!

Bengal panchayat election 2023: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. भारी हिंसा के बीच तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव में अपना परचम लहरा दिया है. बीजेपी दूसरे स्थान पर है. अब विपक्ष की अगली बैठक में ममता बनर्जी सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर और जोरदार तरीके से बात करती दिख सकती हैं.

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Jul 12, 2023, 06:55 AM IST
  • पंचायत चुनाव में व्यापक हिंसा
  • 'राज्य के लोगों के दिल में रहती है TMC'
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव नतीजे: हिंसा के बीच TMC बनी 'किंग', विपक्ष की अगली बैठक में चलेगा ममता का सिक्का!

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने हिंसा के बीच हुए पंचायत चुनाव के घोषित नतीजों के मुताबिक अपने वर्चस्व को कायम रखा है. दो साल पहले तृणमूल ने विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की थी. राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) द्वारा मंगलवार देर रात तक घोषित नतीजों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ते हुए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने 28,985 सीट पर जीत दर्ज कर ली है जबकि वह 1,540 सीट पर बढ़त बनाए हुए है. वहीं, तृणमूल कांग्रेस की निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 7,764 सीट पर जीत दर्ज की है जबकि वह 417 सीट पर बढ़त बनाए हुए है.

बता दें कि पश्चिम बंगाल में कुल 63,299 ग्राम पंचायत सीट के लिए मतदान कराया गया है. नतीजों के मुताबिक, लेफ्ट मोर्चा ने 2,468 सीट जीती हैं जिनमें से अकेले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) ने 2,409 सीट पर जीत दर्ज की है. कांग्रेस ने 2,022 सीट पर जीत दर्ज की है और 139 अन्य सीटों पर उसके प्रत्याशी आगे चल रहे हैं. 

ममता बनर्जी बोलीं- 'टीएमसी ही राज्य के लोगों के दिल में रहती है'
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को पंचायत चुनावों में टीएमसी की शानदार जीत के लिए पश्चिम बंगाल के लोगों को धन्यवाद दिया. बनर्जी ने एक बयान में कहा, ‘मैं तृणमूल कांग्रेस के प्रति लोगों के प्यार, स्नेह और समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहती हूं. इस चुनाव ने साबित कर दिया है कि केवल टीएमसी ही राज्य के लोगों के दिल में रहती है.’ 

पंचायत चुनाव में व्यापक हिंसा
पश्चिम बंगाल में शनिवार को हुए पंचायत चुनाव में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गयी. इनमें 11 तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हुए थे. पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद से राजनीतिक हिंसा में कुल 33 लोगों की मौत हुई है जिनमें से 60 प्रतिशत सत्तारूढ़ दल से ताल्लुक रखते थे.

पंचायत चुनाव में ममता ने क्यों की इतनी मेहनत?
साल 2011 में ममता के सत्ता में आने के बाद यह पहली बार है जब वो पंचायत स्तर के चुनाव में प्रचार कर रही थीं. इससे पहले साल 2008 में उन्होंने पंचायत चुनाव में प्रचार किया था. दरअसल, अगले साल के लोकसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी के लिए राज्य में अपनी ताकत दिखाने का यह आखिरी अवसर था. पंचायत चुनाव में पार्टी की प्रचंड जीत राज्य की राजनीति में ममता बनर्जी की ताकत की बानगी पेश कर रही है.

ममता चाहती थीं कि विपक्षी बैठक 10 जुलाई को न हो
ऐसी खबरें थीं कि 23 जून को पटना में हुई विपक्ष की महाबैठक के बाद अगली बैठक 10 जुलाई को शिमला में होनी थी. लेकिन ममता चाहती थीं कि विपक्षी बैठक बाद में हो. पंचायत चुनाव के नतीजे 11 जुलाई को आने वाले थे. अब नतीजे आ चुके हैं और ममता की पार्टी ने पूरी धमक के साथ जीत हासिल की है. 

अब अगली बैठक में सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर बात करते हुए ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की राजनीति में अपनी शक्ति के बारे में बिना कुछ कहे काफी कुछ बता सकेंगी. कहा जा रहा है कि तृणमूल राज्य की 42 में से 40 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती है. पंचायत चुनाव में पार्टी की प्रचंड जीत ज्यादा से अब TMC की दावेदारी और भी ज्यादा मजबूत हो जाएगी. 

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