नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आज यानी बुधवार को आम बजट पेश करने जा रही है. इस बार के बजट में आम-आदमी को काफी उम्मीदें हैं. हर बार के बजट में लोगों को रेलवे में बड़ी राहत की उम्मीद होती है, इस बार भी लोगों को रेल बजट में कई बड़ी घोषणाओं को काफी उम्मीदें हैं. यूनियन बजट में देश के राजस्व और खर्च का आकलन किया जाता है और देश के भविष्य को लेकर हुई प्लानिंग की घोषणाएं होती हैं. बजट के इतिहास पर नजर डालें, तो इससे कई सारी परंपराएं जुड़ी होती है, जैसे कि हलवा सेरेमनी. हालांकि समय के साथ बजट पेश करने की परंपरा में काफी बदलाव आया है. अब बजट टैब में पेश्किया जा रहा है, जिसे कि इलेक्ट्रॉनिक बजट भी कह सकते हैं. आज हम बात करेंगे ऐसी ही एक परंपरा की, जिसे मोदी सरकार ने साल 2017 में भंग कर दिया.
92 साल पुरानी परंपरा में हुआ था बड़ा बदलाव
केंद्र की मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में साल 2017 के बजट में बड़ा बदलाव किया था. साल 2017 से पहले तक देश में दो तरह के बजट पेश होते थे, जिसमें पहले होता था आम बजट और दूसरा रेल बजट. आम बजट के तहत सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा और आर्थिक विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण घोषणाओं के बारे में जानकारी दी जाती है.
साल 2017 में आम बजट करते समय मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए आम बजट में ही रेल बजट पेश किया और इस तरह 92 साल से चली आ रही पुरानी परंपरा टूट गई. साल 2017 के बाद से आम बजट में ही रेल बजट को जोड़ दिया गया और इसे एकसाथ पेश किया जाने लगा.
इस तरह टूटी वर्षों पुरानी ब्रिटिश परंपरा
सबसे पहले साल 1924 में ब्रिटिश सरकार के तहत रेल बजट अलग से पेश किया गया था. इसके बाद से ही लगातार यह परंपरा चली आ रही थी. साल 2017 में केंद्र की मोदी सरकार ने आम बजट के तहत ही रेल बजट पेश करते हुए अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही इस परंपरा को भंग कर दिया.
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