संयुक्त किसान मोर्चा ने स्वामीनाथन के लिए भारत रत्न का स्वागत किया, लेकिन इस मुद्दे पर की सरकार की आलोचना

Farmers MSP Issue: एसकेएम ने एक बयान में कहा कि भाजपा सरकार द्वारा चौधरी चरण सिंह और डॉ. एम एस स्वामीनाथन को कृषि और किसानों के लिए उनके योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित करने का एसकेएम स्वागत करता है.

Written by - PTI Bhasha | Last Updated : Feb 10, 2024, 07:47 PM IST
  • SKM ने भारत रत्न देने के लिए तारीफ की
  • SKM ने किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरा
संयुक्त किसान मोर्चा ने स्वामीनाथन के लिए भारत रत्न का स्वागत किया, लेकिन इस मुद्दे पर की सरकार की आलोचना

Farmers MSP Issue: संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक दिवंगत एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा का शनिवार को स्वागत किया, लेकिन इसे स्वामीनाथन समिति के सुझाव के अनुसार फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान करने में सरकार की विफलता से लोगों का ध्यान हटाने का एक प्रयास बताया.

SKM ने एक बयान में यह भी कहा कि सिंह और स्वामीनाथन भारत रत्न के बिना भी किसानों के प्रति अपने योगदान के लिए लोगों की स्मृतियों में जीवित रहेंगे. एसकेएम ने भारत के किसानों के संकट का समाधान करने में विफल रहने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निंदा की.

एसकेएम ने एक बयान में कहा कि भाजपा सरकार द्वारा चौधरी चरण सिंह और डॉ. एम एस स्वामीनाथन को कृषि और किसानों के लिए उनके योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित करने का एसकेएम स्वागत करता है. एसकेएम ने बयान में कहा, 'चौधरी चरण सिंह की उत्तर प्रदेश में जमींदारी उन्मूलन के कार्यान्वयन में भूमिका थी, जिससे किसानों को स्वामित्व का अधिकार प्राप्त हुआ. वहीं, राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष के रूप में, डॉ. एम एस स्वामीनाथन ने किसानों को आय गारंटी के लिए सिफारिशें कीं.'

मोदी सरकार का धोखा
बयान में कहा गया है, 'हालांकि, मोदी सरकार नेताओं का सम्मान केवल किसानों और लोगों को धोखा देने के लिए कर रही है. प्रधानमंत्री में न तो ईमानदारी है और न ही सच्चाई है और वह किसानों की दुर्दशा को और बढ़ाने के इरादे से वोट हासिल करने की घटिया तिकड़म में लगे हुए हैं और खेती में विदेशी कंपनियों से जुड़े कॉर्पोरेट घरानों को दी जा रही मदद को छिपाने के लिए प्रतीक की राजनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं.'

भटका रही सरकार
एसकेएम ने सरकार पर लोकसभा चुनाव से पहले अपनी नीतियों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए कई तरह की प्रतीकात्मकता में लिप्त होने का आरोप लगाया. उसने कहा, 'एसकेएम भारत के किसानों के संकट को हल करने में विफल रहने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की निंदा करता है. किसान कृषि में अधिक लागत और खराब सरकारी बुनियादी ढांचे एवं सेवाओं के दबाव में हैं, जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशक, बिजली, डीजल, सिंचाई, मशीनरी, फसल कटाई के बाद की सुविधाओं, भंडारण और शीतलन सुविधाओं, विपणन यार्ड, खाद्य प्रसंस्करण सुविधाएं, विपणन.'

किसान संगठनों की इकाई एसकेएम ने अब निरस्त हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध का नेतृत्व किया था. उसने अपनी अन्य मांगों को दोहराया, जिसमें उर्वरक सब्सिडी की बहाली के साथ सभी लागत में आधी कटौती, सभी किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए ऋण माफी, माइक्रोफाइनेंस ब्याज दरों में कटौती, बिजली शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं, प्रीपेड मीटर के लिए नहीं और सभी ग्रामीण परिवारों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली सहित अन्य का उल्लेख किया. एसकेएम और सेंट्रल ट्रेड यूनियन (सीटीयू) के संयुक्त मंच ने 16 फरवरी को देशव्यापी ग्रामीण बंद और औद्योगिक हड़ताल की घोषणा की है, जिसे कई अन्य संगठनों ने समर्थन दिया है.

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