नई दिल्ली. गुजरात के मोरबी जिले में लच्छू नदी पर बने पुल के टूटने से अब तक 130 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. घटना के वक्त पुल पर करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे. दुर्घटना के एक पीड़ित ने मोरबी पुल पर हुए हादसे के हर एक पल के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने बताया है कि घटना की शुरुआत कैसे हुई और खुद जिंदा कैसे बच पाए!
कैसे हुई दुर्घटना? एकाएक पुल से नीचे गिर लोग
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में पीड़ित अश्विन अर्जुन भाई ने बताया- 'घटना शाम 6:30 बजे के आस-पास हुई. पुल के बीच में 20-25 उम्र के 15-20 लड़के चिल्ला रहे थे. वो लोग पुल को हिला रहे थे और सब एक जगह इकट्ठे हो गए. तीन बार जोर की आवाज आई और जब चौथी बार आवाज आई तो पुल टूट गया. जोर से आवाज हुई. मेरे सामने मौजूद सभी लोग नदी में गिर गए. हम लोग किनारे थे और हमने झाड़ी (जाली) पकड़ ली. झाड़ी पकड़कर हम धीरे-धीरे बाहर निकल गए.'
'मेरे साथ मेरा दोस्त था...वह भी बच गया'
अश्विन ने बताया-मेरे साथ परिवार के लोग नहीं थे. मेरा दोस्त था मेरे साथ प्रकाश. उसे भी कुछ नहीं हुआ. पुल टूटते ही मौत हमारे सामने आ गई थी. लेकिन ऊपर वाले की दया से हम बच गए. हमारे साथ कुल सात लोग थे, सभी बाहर आ गए. मेरे पांव में चोट आई है और पीठ में चोट आई है.'
#WATCH | An injured survivor in the #MorbiBridgeCollapse recounts the harrowing moment when the suspension bridge collapsed and how he saved himself pic.twitter.com/MWX3HpwqmT
— ANI (@ANI) October 31, 2022
मामले में कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज
इस बीच गुजरात पुलिस ने पुल के रखरखाव और संचालन का काम देखने वाली एजेंसियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है. मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने संवाददाताओं से कहा कि शहर में घड़ियां और ई-बाइक निर्माता ओरेवा ग्रुप को पुल के नवीनीकरण और संचालन का ठेका दिया गया था.
क्या बोले शहर के एसपी
मोरबी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) राहुल त्रिपाठी ने कहा कि रविवार रात प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कुछ लोगों को प्रारंभिक पूछताछ के लिए बुलाया गया है. पुलिस के मुताबिक, रविवार शाम मोरबी में मच्छु नदी पर बने केबल पुल के गिरने से कम से कम 134 लोगों की मौत हो गई. मोरबी ‘बी’ डिवीजन पुलिस थाने में रविवार रात दर्ज की गई प्राथमिकी में, पुलिस ने मुख्य आरोपी के रूप में 'केबल पुल के रखरखाव और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार एजेंसियों' को मुख्य आरोपी के रूप में दिखाया है, जिनके नाम जांच के दौरान सामने आए थे. भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या की सजा) और 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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