सेबी ने 60 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि को बताया 'मुश्किल से वसूल होने वाली' रकम

सेबी की तरफ से जारी की गई जानकारी के अनुसार 60 हजार करोड़ रुपये की रकम ऐसी है जिसे मुश्किल से वसूल किया जा सकता है. 

Last Updated : Nov 2, 2022, 07:58 PM IST
  • सेबी ने अपनी रिपोर्ट में जारी किेए चौंकाने वाले आंकड़े
  • 60 हजार करोड़ से ज्यादा की है 'मुश्किल से वसूल होने वाली' रकम
सेबी ने 60 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि को बताया 'मुश्किल से वसूल होने वाली' रकम

नई दिल्ली: पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने चौंकाने वाले आंकड़ों के खुलासे किए हैं. सेबी की तरफ से जारी की गई जानकारी के अनुसार 60 हजार करोड़ रुपये की रकम ऐसी है जिसे मुश्किल से वसूल किया जा सकता है. 

इतने हजार करोड़ की रकम वसूलना है बाकी

पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मार्च, 2022 के अंत तक 67,228 करोड़ रुपये के बकाया को 'मुश्किल से वसूल होने वाली' श्रेणी में डाल दिया है. सेबी की वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 में बताया गया कि कुल मिलाकर नियामक की 96,609 करोड़ रुपये की राशि को विभिन्न कंपनियों से वसूला जाना है. 

कई कंपनियों ने अभी तक नहीं अदा किया है जुर्माना

इनमें से कई कंपनियां जुर्माना भी अदा नहीं कर पाई हैं. साथ ही कई ऐसी भी हैं जिन्होंने अभी तक शुल्क का भुगतान भी नहीं किया है और उन्होंने निवेशकों का धन वापस करने के सेबी के निर्देश का पालन भी नहीं किया है. सेबी ने कहा कि 96,609 करोड़ रुपये में से 65 प्रतिशत यानी 63,206 करोड़ रुपये सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) से संबंधित है और पीएसीएल लिमिटेड और सहारा समूह की कंपनी - सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड के सार्वजनिक निर्गमों से संबंधित है.

सेबी ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा

वहीं कुल राशि का 70 प्रतिशत यानी 68,109 करोड़ रुपये के मामले विभिन्न अदालतों और अदालत द्वारा नियुक्त समिति के समक्ष हैं. अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सेबी ने कहा कि 67,228 करोड़ रुपये के बकाये की वसूली करना मुश्किल है. इस श्रेणी में बकाये को तभी डाला जाता है जब वसूली के सभी तौर-तरीके अपनाने के बावजूद भी राशि को वापस नहीं पाया जा सका हो. इसके अलावा सेबी ने 2021-22 के दौरान की जांच के दौरान प्रतिभूति नियमों का उल्लंघन करने से संबंधित 59 मामले अपने हाथ में लिए हैं जो इससे पिछले वर्ष 94 थे. 2019-20 में ऐसे मामलों की संख्या 140 थी.

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