नई दिल्ली. देश की सर्वोच्च अदालत ने राज्यों में वकीलों को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए एक ठोस योजना के साथ आने में देर करने को लेकर मंगलवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने काउंसिल से पेशेवर शिष्टाचार के नियम कड़े करने को कहा. न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो वकीलों द्वारा की जाने वाली हड़ताल के खिलाफ शीर्ष न्यायालय के आदेश के कथित उल्लंघन को लेकर दायर की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट काफी समय से बीसीआई को वकीलों की हड़ताल बंद कराने के बारे में एक ठोस प्रस्ताव सौंपने के लिए कहता रहा है. उल्लेखनीय है कि ओडिशा के संबलपुर में पिछले साल वकीलों के आंदोलन से नाराज शीर्ष न्यायालय ने चेतावनी दी थी कि यदि स्थानीय पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने में नाकाम रहती है, केंद्रीय बल भेज दिये जाएंगे.
‘आखिर कब तक चर्चा चलेगी?'
न्यायालय ने कहा, ‘आखिर कब तक चर्चा चलेगी? अगर बार काउंसिल ऑफ इंडिया उन चीजों में तेजी नहीं ला सकती है, जो खुद उसे करना है, तो यह कौन करेगा? हमें विशेष, ठोस निवारक उपायों की जरूरत है.’
काउंसिल ने क्या कहा?
बीसीआई की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अर्द्धेंदुमौली कुमार प्रसाद ने दलील दी कि इसमें सभी राज्य बार काउंसिल हितधारक हैं, जिनके साथ बार काउंसिल ऑफ इंडिया चर्चा कर रही है. उन्होंने कहा कि चर्चा को संपन्न होने में कुछ वक्त लगेगा.
पीठ ने कहा, ‘आपको पेशेवर शिष्टाचार के नियमों को कड़े करने की जरूरत है. ऐसा लगता है कि आप ये चीजें नहीं कर रहे हैं...आपको इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है.’ न्यायालय ने बीसीआई के वकील को मुद्दे से निपटने के लिए ठोस प्रस्ताव के साथ आने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 मार्च की तारीख निर्धारित की है.
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