देश के इन इलाकों में दशहरे पर होती है रावण की पूजा, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी?

Dussehra 2022: विजयादशमी के मौके पर बुराइयों के प्रतीक रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले का दहन होता है, मगर मध्यप्रदेश में कई इलाके ऐसे हैं जहां रावण की विजयादशमी के मौके पर पूजा होती है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 3, 2022, 04:53 PM IST
  • मंदसौर में क्यों होती है रावण की पूजा?
  • मध्य प्रदेश के इस जिले में है मेघनाद का चबूतरा
देश के इन इलाकों में दशहरे पर होती है रावण की पूजा, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी?

भोपाल: विजयादशमी के मौके पर बुराइयों के प्रतीक रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले का दहन होता है, मगर मध्यप्रदेश में कई इलाके ऐसे हैं जहां रावण की विजयादशमी के मौके पर पूजा होती है. राज्य के मंदसौर, विदिशा, राजगढ़ के अलावा भी कई ऐसे से हैं जहां रावण को विजयादशमी के मौके पर पूजा की जाति है आखिर इन इलाकों में रावण की पूजा क्यों होती है इससे जुड़ी कहानियों से आपको अवगत करते हैं.

मंदसौर में क्यों होती है रावण की पूजा?

सबसे पहले बात मंदसौर की, यहां के रावण रूंदी गांव में हिंदू समुदाय का एक वर्ग नामदेव वैष्णव दशानन की पूजा करता हैं. इस समाज के लोग मंदोदरी को अपने क्षेत्र की बेटी मानते हैं, इस कारण रावण उनका दामाद हुआ इसी के चलते यहां के लोगों ने खानपुर क्षेत्र में लगभग डेढ़ दशक पहले 35 फुट ऊंची रावण की प्रतिमा बनाई गई थी, तभी से इस प्रतिमा की पूजा होती आ रही है.

इसी तरह विदिशा जिले के एक गांव में भी विजयदशमी के मौके पर रावण की जय जयकार होती है यहां की रावण ग्राम में ब्राह्मण जाति के उप वर्ग कान्यकुब्ज परिवारों का निवास है. यह लोग अपने को रावण का वंशज मानते हैं और रावण की पूजा करते हैं. इस गांव में परमार काल का एक मंदिर है, जिसमें रावण की लेटी हुई प्रतिमा हैं. गांव वालों का कहना है कि इस प्रतिमा को जब भी खड़ा करने की कोशिश की गई तब यहां कोई न कोई अनहोनी हुई, आखिर रावण की पूजा क्यों करते हैं इस पर उनका कहना है कि वे रावण के वंशज तो है ही, साथ ही रावण ज्ञानी, वेदों का ज्ञाता और शिव भक्त था, इसलिए वह उसकी पूजा करते हैं.

मध्य प्रदेश के इस जिले में है मेघनाद का चबूतरा

विदिशा जिले में एक ऐसा गांव है जहां मेघनाद का चबूतरा है यह गांव गंजबासौदा के पास स्थित है, जिसे पलीता गांव के नाम से पहचाना जाता है, यहां एक चबूतरा है और उस पर स्तंभ है जिसे मेघनाथ का प्रतीक माना जाता है और विजयादशमी के मौके पर यहां विशेष पूजा होती है. गांव के लोगों की मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य करने से पहले इस चबूतरे की पूजा जरूरी है, इसी तरह राजगढ़ जिले के भाटखेड़ी में भी रावण की पूजा की परंपरा वर्षो से चली आ रही है.

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