‘राहुल गांधी भारत की आशा हैं’, विपक्ष की दूसरी बैठक के पहले कांग्रेस को मिला स्टालिन का सपोर्ट कितना अहम?

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आगामी 17-18 जुलाई को विपक्ष की दूसरी बड़ी बैठक होने जा रही है. इस बैठक को विपक्षी एकता के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है. 23 जून को हुई पहली बैठक में जहां केवल 15 दल शामिल हुए तो वहीं इस बार 24 दल शामिल हो सकते हैं. बैठक के ठीक पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक ऐसा बयान दिया है जिससे कांग्रेस को बड़ा सपोर्ट मिलता दिख रहा है. स्टालिन ने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में कहा है कि राहुल गांधी देश की आशा हैं.

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Jul 13, 2023, 07:36 AM IST
  • कांग्रेस के गढ़ में हो रही है बैठक
  • पटना की बैठक में क्या हुआ?
‘राहुल गांधी भारत की आशा हैं’, विपक्ष की दूसरी बैठक के पहले कांग्रेस को मिला स्टालिन का सपोर्ट कितना अहम?

चेन्नई. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आगामी 17-18 जुलाई को विपक्ष की दूसरी बड़ी बैठक होने जा रही है. इस बैठक को विपक्षी एकता के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है. 23 जून को हुई पहली बैठक में जहां केवल 15 दल शामिल हुए तो वहीं इस बार 24 दल शामिल हो सकते हैं. बैठक के ठीक पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक ऐसा बयान दिया है जिससे कांग्रेस को बड़ा सपोर्ट मिलता दिख रहा है. स्टालिन ने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में कहा है कि राहुल गांधी देश की आशा हैं.

स्टालिन ने दृढता के साथ यह भी कहा कि विपक्षी एकता 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को हरा सकती है. उन्होंने कहा कि विपक्ष में कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच मतभेद धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे और यह राष्ट्रीय दल विपक्ष का अखिल भारतीय चेहरा होगा.

पटना की बैठक में क्या हुआ?
डीएमके प्रमुख ने कहा, ‘पटना की बैठक ने कड़ा संदेश दिया है कि पूरा भारत लोकतंत्र एवं संवैधानिक मूल्यों को बचाने के लिए साथ आ गया है. हमारे विरोधी कहते हैं कि हम एक भी बैठक नहीं कर पायेंगे, कि हमारे बीच सहमति नहीं बन पायेगी, कि बस एक बैठक के बाद हम बिखर जायेंगे. पूरे भारत से नेता आये. इससे मुझे एक बड़ा विश्वास मिला है. हम निश्चित ही अपना राजनीतिक लक्ष्य हासिल करेंगे.’ 

कांग्रेस के लिए क्यों सकारात्मक है स्टालिन का बयान
बेंगलुरु की बैठक के पहले एमके स्टालिन का बयान कांग्रेस के लिए बेहद सकारात्मक रोल अदा कर सकता है. दरअसल विपक्ष की पहली बैठक के बाद पीएम पद के चेहरे को लेकर बहस और चर्चाएं चलती रही हैं. इसमें कभी बिहार के सीएम नीतीश कुमार तो कभी यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव का नाम चर्चाओं में आया है. हालांकि दोनों ही तरफ से साफ कहा गया कि विपक्षी नेता का चेहरा आपसी सहमति से तय किया जाएगा. इन सारी चर्चाओं के बीच स्टालिन ने राहुल को देश की आशा बताया है जिसका बड़ा प्रतीकात्मक महत्व है.

राहुल ने तमिलनाडु से ही शुरू की थी यात्रा
यह बात ध्यान देने योग्य है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत भी तमिलनाडु से ही हुई थी. उनकी इस यात्रा का हिस्सा का एमके स्टालिन भी बने थे. अब कांग्रेस और राहुल गांधी को तमिलनाडु से बड़ा सपोर्ट एक बार फिर आया है. राहुल की यह यात्रा दक्षिण से उत्तरी राज्यों की तरफ हुई थी. राहुल खुद वायनाड से सांसद हैं.

कांग्रेस के गढ़ में हो रही है बैठक
दूसरी बात, विपक्ष की यह बैठक उस राज्य में हो रही है जहां पर कांग्रेस ने हाल में प्रचंड जीत हासिल की है. साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष का भी यह गृह राज्य है. सभी पार्टियां बैठक में अपनी भूमिका मजबूत रखने पर जोर देंगी. ऐसे में कांग्रेस के लिए भी कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु अपनी बात मजबूती से रखने के लिए बिल्कुल मुफीद जगह है.

सोनिया के आने से बनेंगी बिगड़ी बातें! यूपीए में रहा है अहम रोल
साथ ही इस बैठक में सोनिया गांधी भी शिरकत कर सकती हैं. सोनिया गांधी ने कई दलों के साथ मिलकर दस वर्षों तक यूपीए की सरकार चलाने में बड़ा योगदान दिया है. अब स्टालिन ने कहा है कि यह राष्ट्रीय दल यानी कांग्रेस विपक्ष का राष्ट्रीय चेहरा होगा. ऐसे में स्टालिन से मिले समर्थन के बाद अब कांग्रेस के लिए विपक्ष की महाबैठक और भी ज्यादा अहम होने जा रही है.  

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