पार्वती ने शिव को दान किया लिवर, ब्लड ग्रुप न मिलने के बावजूद कैसे सफल हुआ ट्रांसप्लांट?

महाशिवरात्रि पर शिव पार्वती का ऐसा अनोखा मिलन हुआ, जो कहानी हर किसी के लिए मिसाल बन गई. पार्वती नाम की एक महिला ने अपने पति शिव को लिवर दान किया. वो भी ऐसी स्थिति में जब उसका ब्लड ग्रुप पति से मैच नहीं कर रहा था.

Written by - Pooja Makkar | Last Updated : Feb 17, 2023, 03:55 PM IST
  • महाशिवरात्रि पर शिव पार्वती का अनोखा मिलन
  • लिवर देकर पार्वती ने बचाई पति शिव की जान
पार्वती ने शिव को दान किया लिवर, ब्लड ग्रुप न मिलने के बावजूद कैसे सफल हुआ ट्रांसप्लांट?

नई दिल्ली: 6 महीने पहले एक 21 साल की महिला ने अपने 29 साल के पति को बिस्तर पर बेहोश पड़ा पाया. पत्नी बीमार पति को लेकर अस्पताल पहुंची पता चला कि पति का लिवर फेल हो चुका था, जिसकी वजह से वो बेहोश हुआ. पति अकेला कमाने वाला था और पत्नी के अलावा दो बच्चों और बूढ़ी मां की जिम्मेदारी भी संभाल रहा था.

शिव को पार्वती ने दान किया लिवर
बिहार के रहने वाले शिव को लिवर ट्रांसप्लांट बताया गया, लेकिन डोनर मिलने की चुनौती थी. शिव का ब्लड ग्रुप B+ था. जो भाई बहन से मेल नहीं खा सका. पत्नी लिवर देने को तैयार थी, लेकिन ब्लड ग्रुप A+ था.

बिना मैच वाले ब्लड ग्रुप के ट्रांसप्लांट मुश्किल था, लेकिन नामुमकिन नहीं था. ये काम किसी बड़े अस्पताल में ही हो सकता था. लिहाजा दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ये सर्जरी हुई. लेकिन सर्जरी के लिए पहले से बहुत तैयारी की गई. शिव के ब्लड ग्रुप में मौजूद एंटीबॉडी को ट्रीट किया गया.

कैसे सफल हुआ ये खतरनाक ट्रांसप्लांट?
डॉ. मेहता के मुताबिक बेमेल ब्लड ग्रुप में लिवर ट्रांसप्लांट में बहुत अधिक खतरा शामिल हैं, विशेष रूप से वयस्कों में, क्योंकि बच्चों का शरीर बेमेल ब्लड को ज्यादा आसानी से समाहित यानी एब्जार्ब कर लेता है. लेकिन बड़ों के मामले में पर्याप्त तैयारी से ही बेहतर नतीजे पाए जा सकते हैं.

प्लास्मा-फेरेसिस (Plasmapheresis) प्रक्रिया के जरिए एंटीबॉडी को न्यूट्रलाइज किया गया. हमारे शरीर में अगर कोई बाहरी चीज आए तो ब्लड में मौजूद एंटीबॉडी हमलावर होने लगती हैं. क्योंकि एंटीबॉडी शरीर को बचाने लगती हैं. पार्वती के लिवर के मामले में ऐसा ना हो इसके लिए शिव के ब्लड में मौजूद एंटीबॉडी को एक तरह से स्थिर कर दिया गया.

इसके बाद चीफ लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. नैमिष मेहता के अलावा 21 लोगों की टीम ने इस सर्जरी को अंजाम दिया. 12 घंटों की सर्जरी में बेमेल ब्लड को स्वीकार करवा पाना डॉक्टरों के लिए चुनौती थी. लेकिन सर्जरी भी कामयाब रही और सर्जरी के अगले दिन शिव अपने परिवार वालों से बात कर रहा था.

बिहार के मरीज शिव के मुताबिक 'सच्चे अर्थों में मेरी पत्नी ने मेरी जान बचाने में देवी पार्वती की वास्तविक भूमिका निभाई है. मैं जीवन भर उनका कर्जदार रहूंगा. यह मेरे लिए सबसे अच्छा तोहफा है जो महा-शिवरात्रि पर आ सकता था.'

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