AAP कांग्रेस को डरा रही या सचमुच I.N.D.I.A से कर देगी बाहर, किसके पक्ष में गठबंधन का गुणा-भाग?

AAP and Congress in India Alliance: आम आदमी पार्टी कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर करने के लिए दूसरे दलों से बातचीत करेगी. दिल्ली में कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी से नाराज AAP अब कांग्रेस को अपने तेवर दिखा रही है. हालांकि, AAP के इस प्रस्ताव के लिए बाकी दल राजी होंगे या नहीं, इस पर संशय है. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Dec 26, 2024, 01:03 PM IST
  • दिल्ली में मजबूती से उतरी कांग्रेस
  • केजरीवाल को हो गई किले की चिंता
AAP कांग्रेस को डरा रही या सचमुच I.N.D.I.A से कर देगी बाहर, किसके पक्ष में गठबंधन का गुणा-भाग?

नई दिल्ली: AAP and Congress in India Alliance: दिल्ली विधानसभा चुनाव 'इंडिया गठबंधन' के लिए बेहद कठिन डगर साबित हो रहा है. राष्ट्रीय स्तर पर बने गठबंधन ने बिना टूटे इसे पार कर लिया, तो बड़ी सफलता मानी जाएगी. भले AAP और कांग्रेस का प्रदेश स्तर पर गठबंधन नहीं हुआ, लेकिन दोनों दल राष्ट्रीय स्तर पर INDIA गठबंधन का ही हिस्सा हैं. लेकिन अब ये गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर भी खतरे में पड़ता दिख रहा है. सूत्रों का दावा है कि AAP ने कांग्रेस को गठबंधन से बाहर करने की तैयारी शुरू कर दी है.

AAP बाकी सहयोगियों से करेगी बातचीत
सूत्रों ने बताया कि AAP कांग्रेस को इंडिया एलायंस से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए दूसरे दलों से बातचीत करेगी. दिल्ली कांग्रेस के नेताओं के बयान से आहत AAP का कहना है कि कांग्रेस भाजपा के साथ मिलकर काम कर रही है. हाल ही में कांग्रेस द्वारा अरविंद केजरीवाल पर FIR भी हुई, दोनों दलों के बीच खटास का ये भी बड़ा कारण माना जा रहा है.

AAP और कांग्रेस में से कौन दमदार?
कांग्रेस करीब 140 साल पुरानी पार्टी है, जो 1885 में बनी. देश के हर राज्य में इसका जनाधार है. देश सबसे लंबे समय तक सरकार चलाने का तमगा भी कांग्रेस के पास है. कांग्रेस 99 सांसदों के साथ लोकसभा चुनाव 2024 में इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. दूसरी ओर AAP है, जो 2012 में बनी, महज 12 साल पुरानी पार्टी. फिलहाल दो राज्यों में सरकार, दिल्ली और पंजाब. लोकसभा में AAP के 3 सांसद हैं.

प्रमुख क्षेत्रीय दलों का स्टैंड क्या रह सकता है?
समाजवादी पार्टी (SP):
यूपी की समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को लड़ने के लिए खूब सीटें दी थीं. अब 2027 में यूपी में विधानसभा चुनाव होना है. अखिलेश नहीं चाहेंगे कि कांग्रेस अलग लड़े, इसका सीधा नुकसान सपा होगा. सपा कांग्रेस को गठबंधन से बाहर करने के लिए राजी नहीं होगी.

तृणमूल कांग्रेस (TMC): पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस पार्टी इंडिया गठबंधन का तीसरा सबसे बड़ा दल है. TMC पहले से ही कांग्रेस से नाराज चल रही है. ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन की कमान संभालने की इच्छा जाहिर कर चुकी है. कुछ दलों के शीर्ष नेताओं ने उनको समर्थन भी दे दिया था. ममता कांग्रेस को एलयांस से बाहर करने का प्रस्ताव स्वीकार कर सकती हैं.

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK): तमिलनाडु की DMK पार्टी इंडिया गठबंधन का चौथा सबसे बड़ा दल है. तमिलनाडु में DMK और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार है. दोनों दलों का साल 2004 से गठबंधन है. 2014 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने अकेले लड़ा, इस वाकये को छोड़ दें तो DMK के साथ रिश्ते मजबूत ही रहे हैं. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के कांग्रेस हाईकमान से अच्छे संबंध हैं. कांग्रेस को INDIA गठबंधन से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए DMK के पास कोई वजह नहीं है.

शिवसेना-UBT: उद्धव ठाकरे की शिवसेना इंडिया गठबंधन की पांचवी सबसे बड़ी पार्टी है. महाराष्ट्र में इस बार इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना खुद ही इंडिया गठबंधन से बाहर निकलने पर विचार कर रही है. ठाकरे की पार्टी BMC का चुनाव अकेले लड़न सकती है. जो पार्टी खुद गठबंधन से अलग होने पर विचार कर रही हो, वो AAP के इस प्रस्ताव में शायद ही दिलचस्पी दिखाए.

नेशनल कांग्रेस पार्टी- शरद पवार (NCP-SP): शरद पवार के नेतृत्व वाली NCP इंडिया गठबंधन की छठवीं सबसे बड़ी पार्टी है. शरद पवार चाहते थे कि दिल्ली में AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो. इसको लेकर उनके दिल्ली स्थित आवास पर दोनों दलों के नेताओं की बातचीत भी हुई, लेकिन बात नहीं बन पाई. शरद पवार ने ही महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी को बनाने में अहम भूमिका निभाई. फिलहाल शरद पवार का खेमा कांग्रेस से असंतुष्ट नहीं है.

फिर क्यों केजरीवाल दिखा रहे तेवर?
दिल्ली AAP का किला है, ये हाथ से निकला तो पार्टी पूरी तरह कमजोर पड़ जाएगी. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पूरे दमखम से मैदान में उतर रही है. कांग्रेस जितनी मजबूत होगी, AAP उतनी ही कमजोर होगी. लिहाजा, केजरीवाल नहीं चाहते कि कांग्रेस दिल्ली में मजबूत से चुनाव लड़े. AAP के नेता चाहते हैं कि दिल्ली में उन्हें कांग्रेस की ओर से वॉक ओवर मिले. यही कारण है कि अब बाकी दलों की मदद से वे कांग्रेस पर प्रेशर डालना चाहते हैं.

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