पूर्व पत्नी के कुत्तों को भी देना होगा गुजारा भत्ता, मुंबई की अदालत ने पति को दिया आदेश

महिला ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम की धारा 12 के तहत प्रति माह 70,000 रुपये का गुजारा भत्ता मांगा था, लेकिन उसके पूर्व पति ने इसे इस आधार पर चुनौती दी कि वह अपने 3 पालतू कुत्तों के लिए भी गुजारा भत्ता चाहती है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 11, 2023, 11:47 PM IST
  • कोर्ट ने तीन कुत्तों को भी गुजारा भत्ता देने को कहा.
  • पत्नी ने पति से मांगा था 70 हजार महीना गुजारा भत्ता.
पूर्व पत्नी के कुत्तों को भी देना होगा गुजारा भत्ता, मुंबई की अदालत ने पति को दिया आदेश

मुंबई. मुंबई की एक अदालत ने गुजारा भत्ते से जुड़े एक मामले फैसला सुनाते हुए कहा है कि पालतू जानवर रिश्तों के टूटने के बाद उत्पन्न होने वाली भावनात्मक कमी को पूरा करने में मदद कर सकते हैं. अदालत ने एक व्यक्ति को उसकी अलग हुई पत्‍नी के 3 पालतू कुत्तों के लिए गुजारा भत्ता देने का आदेश देते हुए यह बात कही है.

बांद्रा कोर्ट की  मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोमलसिंह राजपूत ने हाल ही में एक व्यक्ति की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपनी 55 वर्षीय पत्‍नी को मिलने वाले भरण-पोषण भत्ते में कटौती की मांग की थी, जिसमें उसके 3 पालतू कुत्तों पर खर्च के लिए पैसे भी शामिल थे. व्यक्ति की दलीलों को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा- 'पालतू जानवर भी सभ्य जीवनशैली का हिस्सा हैं... मनुष्य के स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं, क्योंकि वे टूटे हुए रिश्तों के कारण होने वाली भावनात्मक कमी को पूरा करते हैं.' अदालत ने कहा कि यह महिला और उसके 3 पालतू कुत्तों के लिए रखरखाव राशि को कम करने का आधार नहीं हो सकता.

महिला ने कहा था कि वह 3 पालतू कुत्तों के लिए भी गुजारा भत्ता चाहती है
दरअसल महिला ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम की धारा 12 के तहत प्रति माह 70,000 रुपये का गुजारा भत्ता मांगा था, लेकिन उसके पूर्व पति ने इसे इस आधार पर चुनौती दी कि वह अपने 3 पालतू कुत्तों के लिए भी गुजारा भत्ता चाहती है. कोर्ट ने याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार किया और 50 हजार रुपये प्रति महीने गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया है. 

पति के व्यावसायिक घाटे के दावों का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं 
मजिस्ट्रेट ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि दोनों पक्ष अच्छी वित्तीय पृष्ठभूमि वाले हैं, पति के व्यावसायिक घाटे के दावों का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं था और अदालत ने महसूस किया कि पत्‍नी को दिया जाने वाला गुजारा भत्ता उसकी जीवनशैली और अन्य जरूरतों के अनुरूप होना चाहिए. इस जोड़े की शादी 1986 में दूसरे भारतीय शहर में हुई थी. इनकी दो बेटियां हैं जो विदेश में बस गई हैं, लेकिन 2021 में पति-पत्‍नी के बीच मतभेद हो गए और उन्होंने भरण-पोषण भत्ता और अन्य सुविधाओं का आश्‍वासन देकर पत्‍नी को मुंबई भेज दिया.

बाद में पत्‍नी ने आरोप लगाया कि उसके पति ने अपना वादा नहीं निभाया, वह घरेलू हिंसा करता था. महिला के पास आय का कोई स्रोत नहीं था, वह खराब स्वास्थ्य से पीड़ित थी और उसके तीन कुत्ते उसी पर निर्भर थे.

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