मिलिट्री हेलीकॉप्टर 'चीता' के बारे में जानिए, जिसके क्रैश में दो पायलटों की गई जान

अरुणाचल प्रदेश में परिचालन उड़ान के दौरान सेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में दो पायलट की जान चली गई. आप इस रिपोर्ट में इस चीता हेलीकॉप्टर के बार में अहम जानकारी हासिल कर सकते हैं.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Mar 16, 2023, 06:28 PM IST
  • सेना के चीता हेलीकॉप्टर के बारे में जानिए
  • हेलीकॉप्टर हादसे में दो पायलट की गई जान
मिलिट्री हेलीकॉप्टर 'चीता' के बारे में जानिए, जिसके क्रैश में दो पायलटों की गई जान

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में बोमडिला के पश्चिम में मांडला के पास बृहस्पतिवार सुबह सेना का एक चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. सेना के दो अफसरों को ले जा रहे हेलीकॉप्टर में दो पायलट थे. एक रक्षा प्रवक्ता ने यह जानकारी दी. मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है कि वेस्ट कामेंग जिले के एसपी बी.आर.बोमारेड्डी ने बताया कि हेलीकॉप्टर हादसे में दोनों पायलट की मौत हो गई है.

हेलीकॉप्टर हादसे में दो पायलट ने गंवाई जान
सेना ने बताया कि सुबह नौ बजे जिले के सांगे गांव से इस हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी थी और वह असम के सोनितपुर जिले के मिस्सामारी जा रहा था. उसमें एक लेफ्टिनेंट और एक मेजर सवार थे. दोनों पायलटों की शिनाख्त हो गई है. मेजर जयंत और लेफ्टिनेंट कर्नल बीबी रेड्डी का शव दुर्घटना स्थल से बरामद हो गया है. दोनों के शवों को पास के हॉस्पिटल में लाया गया. वहीं अंतिम कार्रवाई की जाएगी. बता दें, दोनों का शव शाम करीब चार बजे मिले.

सेना के चीता हेलीकॉप्टर के बारे में जानिए..
चीता हेलीकॉप्टर को HAL ने फ्रांस की कंपनी एरोस्पेटियैल के साथ मिलकर बनाया है
चीता हेलीकॉप्टर को वर्ष 1976-77 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था
चीता हेलीकॉप्टर में सिर्फ एक इंजन है, जो पांच सीटों वाला हेलीकॉप्टर है
चीता हेलीकॉप्टर बेहद ऊंचाई पर उड़ान भरने में विश्व रिकॉर्ड बना चुका है
चीता हेलीकॉप्टर ने 21 जून, 1972 को 12 हजार 442 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था

कारगिल युद्ध में चीता हेलीकॉप्टर ने निभाया था खास रोल
हल्का वजन ही चीता हेलीकॉप्टर की सबसे बड़ी खासियत है. जिसके चलते बड़े से बड़े मिशन को कामयाब बनाने में मदद मिलती है. सियाचिन जैसे ऊंचे और मुश्किल इलाकों में भी चीता हेलीकॉप्टर आसानी से उड़ान भर लेता है. इस हेलीकॉप्टर के जरिए सेना के जवानों को मदद पहुंचाया जाता है. सियाचिन में सामान पहुंचाना हो या मुश्किल में फंसे सेना के जवानों और लोगों का रेस्क्यू करने के लिए चीता का अहम रोल साबित होता है. वक्त-वक्त पर चीता ने ये सब करके दिखाया है. ये वही चीता हेलीकॉप्टर है जिसने कारगिल युद्ध में भारतीय जवानों को सुरक्षित पहाड़ों पर उतारा था. उस युद्ध के जीतने में इसका बड़ा योगदान था.

सेना के अधिकारी ने हादसे पर साझा की जानकारी
लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने बताया कि इस हेलीकॉप्टर का सुबह करीब सवा नौ बजे हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) से संपर्क टूट गया जो परिचालन उड़ान पर था. उन्होंने कहा, 'यह बोमडिला के पश्चिम में मांडला के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया. खोज एवं बचाव दलों को घटनास्थल पर भेजा गया है.'

विशेष जांच शाखा के पुलिस अधीक्षक रोहित राजबीर सिंह ने बताया कि दिरांग में ग्रामीणों ने दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर को जलते हुए देखा और उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों को सूचना दी. सिंह ने कहा, 'डिरांग में बांगजलेप के ग्रामीणों ने करीब साढ़े 12 बजे हेलीकॉप्टर को जलते देखा. वह अब भी जल रहा है.' उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र में 'मोबाइल कनेक्टिविटी' नहीं है और इतना अधिक कोहरा फैला है कि कि दृश्यता घटकर महज पांच मीटर रह गयी है.

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