मिग-27: कारगिल युद्ध के सबसे बड़े फाइटर को जानिए, जिसने पलट दिया था सारा खेल

Mig-27: 26 जुलाई देश के लिए उन वीर सपूतों को याद करने का दिन है, जिन्होंने जान की बाजी लगाकर हिंदुस्तान का ताज बचा लिया, लेकिन क्या आप हिन्दुस्तान के उस हवाई फाइटर को जानते हैं जिसने अपनी उड़ान से लड़ाई का पूरा रुख ही मोड़ दिया.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 26, 2022, 01:24 PM IST
  • पाकिस्तानी सेना पर कहर बनकर बरसा था मिग-27
  • 1999 के कारगिल युद्ध में युद्धवीर बना था मिग-27
मिग-27: कारगिल युद्ध के सबसे बड़े फाइटर को जानिए, जिसने पलट दिया था सारा खेल

नई दिल्ली: भले ही भारतीय वायुसेना में मिग-27 का युग समाप्त हो चुका है, लेकिन इस फाइटर जेट को कोई कभी नहीं भुला पाएगा. मिग-27 पाकिस्तान की सेना पर आग बनकर बरसा था. हिन्दुस्तान के इसी फाइटर जेट ने अपनी उड़ान से लड़ाई का पूरा रुख ही मोड़ दिया. आपको मिग-27 के बारे में बताते हैं.

जब कारगिल में गरजा था मिग-27

कारगिल के युद्ध में जब मिग-27 ने बमवर्षा की थी, युद्ध की दशा और दिशा बदल गई थी. कायर पाकिस्तानी मिग-27 को खौफ से भागते नजर आए थे.

1981 का वो साल था, जब सोवियत रूस के मिग श्रेणी के विमान मिग-27 को पहली बार भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. उस दौर का सबसे बेहतरीन फाइटर जेट मिग-27 था.

38 साल तक देशसेवा कर रहे मिग-27 को हवा से जमीन पर हमला करने का बेहतरीन फाइटर जेट माना जाता रहा था और कारगिल में तो जो काम मिग-27 ने किया वो अद्भुत, अकल्पनीय था. मिग-27 का इंडियन एयर फोर्स में गौरवशाली इतिहास रहा है.

27 दिसंबर 2019 को थम गया सफर

कारगिल का सबसे बड़ा फाइटर कहे जाने वाले मिग-27 ने 27 दिसंबर, 2019 को भारत के आसमान में आखिरी बार दिखाई दिया. जोधपुर के एसरबेस में 29 स्क्वॉड्रन के सभी 7 मिग-27 अपनी आखिरी उड़ान भरी.

मिग-27 का गौरवशाली इतिहास

कारगिल के युद्ध में पाकिस्तान को मात देने में अहम भूमिका निभाई. सबसे पहले 1981 में मिग 27 को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया. HAL ने रूस से मिले लाइसेंस के मुताबिक 165 मिग-27 का निर्माण किया. बाद में इनमें से 86 मिग-27 फाइटर जेट को अपग्रेड किया गया.

पाकिस्तान को हिंद के शूरवीरों ने सिखाया सबक

हिंद के शूरवीरों ने घुसपैठिए बनकर आए पाकिस्तानी फौजियों को छक्के छुड़ा दिए और 60 दिन से ज्यादा चले युद्ध में पाकिस्तान को आखिरकार घुटने टेकने पड़े.

कारगिल के द्रास इलाके की ये ऊंची खूबसूरत चोटियां भारतीय सेना के जवानों की बहादुरी की गवाह हैं. युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को परिजनों को कारगिल लाया गया. उन्हें लामोचिन चोटी पर ले जाया गया जहां से सभी प्रमुख चोटियों पर हमला किया गया था.

1999 में पाकिस्तानी सेना ने धोखे से बत्रा पीक, टाइगर हिल्स, मुशको वैली, तोलोलिंग पीक इन सभी चोटियों पर कब्जा कर लिया था. इन सभी चोटियों से पाकिस्तानी सेना को पीछे धकेला गया.

बोफोर्स ने भी निभाई अहम भूमिका

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ तब मिग-27 और मिग-29 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया, लेकिन बोफोर्स तोप के गोलों ने पाकिस्तान को हराने में बहुत अहम भूमिका निभाई थी.

13 जून को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में तोलोलिंग पोस्ट पर तिरंगा फहराया था. फिर 24 जून को टाइगर हिल पर भारत की बढ़त शुरू हुई थी. वायुसेना के मोर्चा संभालने के बाद आखिरकार 26 जुलाई को पाकिस्तान के कब्जे से आखिरी चोटी भी छीन ली गई.

आज देश के लिए उन वीर सपूतों को याद करने का दिन है जिन्होंने जान की बाजी लगाकर हिंदुस्तान का ताज बचा लिया.

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