बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक बन जाएगी: धर्मांतरण पर हाईकोर्ट

Allahabad High Court on Conversions: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हिंदुओं के एक समूह को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी और कहा कि यदि धर्म परिवर्तन नहीं रोका गया तो देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक बन जाएगी.  

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Jul 2, 2024, 11:21 AM IST
  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बढ़ते धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त की
  • धर्मांतरण के लिए धार्मिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाने की मांग
बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक बन जाएगी: धर्मांतरण पर हाईकोर्ट

Allahabad High Court on Conversions: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ( Allahabad High Court) ने सभाओं के दौरान होने वाले बढ़ते धर्मांतरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और चेतावनी दी है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक बन जाएगी. न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने एक गांव के हिंदुओं के एक समूह को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के आरोपी कैलाश की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की.

बार एंड बेंच के अनुसार, अदालत ने कहा, 'यदि इस प्रक्रिया को जारी रहने दिया गया तो इस देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक हो जाएगी और ऐसे धार्मिक आयोजनों को तुरंत रोका जाना चाहिए जहां धर्मांतरण हो रहा हो और भारत के नागरिकों का धर्म बदला जा रहा हो.'

उच्च न्यायालय ने उन धार्मिक सभाओं पर तत्काल प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया जहां लोगों का धर्म बदला जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की गतिविधियां संविधान के अनुच्छेद 25 में निहित धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का सीधे उल्लंघन करती हैं.

क्या कहा गया है अनुच्छेद 25 में?
अनुच्छेद 25 में कहा गया है कि व्यक्ति किसी भी धर्म में विश्वास करने, पूजा करने और अपने धर्म का प्रचार करने के लिए स्वतंत्र है, कुछ प्रतिबंधों के अधीन. हाई कोर्ट ने कहा कि प्रचार का मतलब धर्म को बढ़ावा देना है और इसका मतलब किसी व्यक्ति को उसके धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करना नहीं है. अदालत ने कहा कि उसने उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में गरीबों को गुमराह करने और ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के मामलों पर ध्यान दिया है.

क्या है मामला?
धर्मांतरण के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने हमीरपुर जिले के मौदहा निवासी कैलाश को जमानत देने से इनकार कर दिया. रामकली प्रजापति नामक व्यक्ति ने कैलाश के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, क्योंकि कैलाश अपने मानसिक रूप से बीमार भाई को एक सप्ताह के लिए दिल्ली ले गया था. उसने कहा था कि वह उसके भाई का इलाज करवाकर उसे वापस गांव भेज देगा, लेकिन आरोपी वापस नहीं लौटा. कैलाश जब वापस लौटा तो वह गांव के सभी लोगों को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में ले गया, जहां सभी को ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया गया. एफआईआर के अनुसार, प्रजापति के भाई को धर्म परिवर्तन के बदले पैसे की पेशकश की गई थी.

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