नई दिल्ली: Devendra Fadnavis Politics: महाराष्ट्र में आज देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि फडणवीस योगी आदित्यनाथ के बाद भाजपा में दूसरे सबसे ताकतवर मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. जब भी प्रधानमंत्री मोदी के बाद उनके उत्तराधिकारी की चर्चा होती है तो उसमें अमित शाह और योगी आदित्यनाथ का नाम लिया जाता है. अब इस फेहरिस्त में देवेंद्र फडणवीस का भी नाम जुड़ गया है. महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव ने न सिर्फ फडणवीस को फिर मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया, बल्कि भाजपा की अगली पीढ़ी का सबसे स्थापित नेता भी बना दिया है.
नागपुर का 'देवा'
देवेंद्र फडणवीस देश के सबसे कम उम्र के पार्षद रहे. वे साल 1992 में महज 22 साल की उम्र में नागपुर के राम नगर वार्ड से पहला नगर निगम चुनाव जीते. इसके बाद मेयर, विधायक, प्रदेश अध्यक्ष और फिर मुख्यमंत्री बने. पहले फडणवीस अपनी तुनकमिजाजी के लिए भी जाने जाते थे. मीडिया के सामने कभी किसी नेता पर भड़क जाते थे, तो कभी किसी अधिकारी पर. रैलियों में नेताओं पर ऐसे जुबानी हमले करते, जो आमतौर पर सियासत में नहीं होते. एक बार उन्होंने राज ठाकरे को 'गली छाप गुंडा' तक कह दिया था. ऐसे वाकयों ने फडणवीस को महाराष्ट्र में भाजपा का फायरब्रांड नेता बनाया.
महाराष्ट्र का 'देवा भाऊ'
फायरब्रांड नेता से परिपक्व नेता की छवि बनाने में फडणवीस को वक्त लगा. पिछले 32 साल में नागपुर के 'देवा' ने महाराष्ट्र के 'देवा भाऊ' तक का सफर तय किया. इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद 'देवा भाऊ' के तौर पर उनकी छवि और पुख्ता हो गई. नतीजों के बाद नागपुर में देवेंद्र फडणवीस के नाम के पोस्टर और होर्डिंग लगे. इनमें फडणवीस को 'देवा भाऊ' लिखते हुए 'आधुनिक अभिमन्यु' बताया. महाराष्ट्र चुनाव से पहले देवेंद्र फडणवीस पर 'देवा भाऊ' नाम से एक गाना भी बना, जिसमें उन्हें आधुनिक महाराष्ट्र का निर्माता बताया गया.
क्या बनेंगे भाजपा में नए 'मोटा भाई'?
देवेंद्र फडणवीस की प्रोफाइल की सबसे मजबूत बात ये है कि वह जितने RSS के करीबी हैं, उतने ही भाजपा आलाकमान के भी. यही कारण है कि महाराष्ट्र में चुनाव जीतने से पहले तक फडणवीस भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में थे. ये तो समीकरण कुछ ऐसे हुए कि महायुति महाराष्ट्र में चुनाव जीत गया, भाजपा सबसे बड़ा दल बनकर उभरी और फडणवीस के हाथ मुख्यमंत्री की कुर्सी लगी. वरना वे उस कुर्सी पर बैठ सकते थे, जहां कभी अमित शाह बैठा करते थे. फडणवीस को भले राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी ना मिले, लेकिन वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनकर अपने पोर्टफोलियो को मजबूत करने में सफल साबित हो सकते हैं. फडणवीस अब भाजपा के मुखिया बनते तो भी फैसले मोदी-शाह की जोड़ी ही लेती. लिहाजा, वे भविष्य में भाजपा की राष्ट्रीय स्तर पर कमान संभालते हैं तो ये उनके लिए ज्यादा मुफीद होगा. फडणवीस भाजपा के नए चाणक्य के तौर पर भी देखे जा रहे हैं, ये तमगा अब तक 'मोटा भाई' यानी अमित शाह के पास था. अब पार्टी को फडणवीस के रूप में नया 'मोटा भाई' मिल सकता है.
आपदा को अवसर में बदलने वाला नेता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक कथन 'आपदा को अवसर बना दो' खूब वायरल होता है. देवेंद्र फडणवीस ऐसा करने में माहिर हैं. देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र में सबसे अधिक रैलियां की. भाजपा जानती थी कि महाराष्ट्र में ओबीसी नेता को आगे करने पर मराठा नाराज होंगे और मराठा नेता को आगे करने पर ओबीसी नाखुश होगी. फडणवीस ब्राह्मण जाति से आते हैं, उनके आगे आने से न मराठा नाराज होंगे और न ही ओबीसी. हालांकि, ब्राह्मण होना उनके लिए सियासी तौर पर ड्राबैक बताया जा रहा था. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो विनोद तावड़े ने अमित शाह से मीटिंग में यह तक कहा था कि फडणवीस ब्राह्मण हैं, उन्हें CM बनाने से मराठा वोटर नाराज होंगे. लेकिन अंततः फडणवीस को सबसे अधिक फायदा इसी बात से हुआ कि वे ऐसी बिरादरी से आते हैं, जिसके मजबूत होने से कोई खफा नहीं होगा. महाराष्ट्र में ब्राह्मण और अन्य समुदाय की आबादी 8 फीसदी है. जबकि मराठा 28 और ओबीसी 38 फीसदी हैं.
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