नई दिल्ली: Kisan Andolan Demands: किसानों और पुलिस के बीच एक बार फिर झड़प हुई है. 101 किसानों का जत्था दिल्ली कूच करना चाहता था. लेकिन पुलिस ने इन्हें एक बार फिर शंभू बॉर्डर पर रोक दिया था. झड़प के बबाद किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने आज के प्रदर्शन को स्थगित कर दिया है. उन्होंने कहा है कि वे आज के हालात की समीक्षा करेंगे. बहरहाल, किसान बीते कुछ दिनों से एक बार फिर एक्टिव हो गए हैं, वे सरकार के सामने एक बार फिर अपनी ताकत दिखा रहे हैं. उनकी कुछ मांगे हैं, जो सरकार नहीं मान रही है.
किसानों की सरकार से क्या मांग है?
किसान सरकार से MSP न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी चाहती हैं. वे चाहते हैं कि स्वामीनाथन रिपोर्ट के C2+500% फॉर्मूले को लागू किया जाए. यहां पर C2 का मतलब लागत से है. किसान चाहते हैं कि गन्ना खरीदी भी स्वामीनाथन रिपोर्ट के हिसाब से हो. ये किसानों की प्रमुख मांग है. किसानों की कुल 12 मांगे हैं, इनमें ये भी शामिल हैं:-
- किसानों का कर्ज माफ होना चाहिए.
- किसान आंदोलन में मरे किसानों के परिवार को मुआवजा मिले..
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू हो.
- विद्युत संशोधन विधेयक- 2020 रद्द हो.
- लखीमपुर खीरी के कांड के दोषियों को सजा मिले.
सरकार के लिए क्यों मुश्किल है MSP की मांग मानना?
1. WTO के नियम: विश्व व्यापार संगठन (WTO) व्यापार के जुड़े वैश्विक नियम बनाता है. भारत भी इसका संस्थापक सदस्य है. भारत ने इसकी शर्तों पर हस्ताक्षर किए हैं. WTO की शर्त है कि MSP की गारंटी न हो. ये महज सब्सिडी देने वाली बात कहता हैं. MSP की गारंटी लागू करने के लिए सरकार को WTO की सदस्यता छोड़नी होगी.
2. वित्तीय भार: वित्तीय वर्ष वर्ष 2020 में कुल MSP खरीद 2.5 लाख करोड़ रुपए थी, जो कृषि उपज का 6.25 फीसदी थी. ये MSP के तहत उपज का करीब 25% है. अब यदि सरकार MSP की गारंटी का कानून लाती है तो पर हर साल 10 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ने वाला है.
3. कैसे तय होगी लागत: MSP लागू करने के लिए फसलों की कीमत भी तय करनी होगी. स्वामीनाथन फार्मूला फिर रिडिजाइन करना होगा, क्योंकि ये तब के हिसाब से रेट तय करता है. इसके बाद किसानों की लागत में बढ़ोतरी हुई है. अब सवाल ये है कि फसलों की लागत कौन तय करेगा.
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