नई दिल्लीः सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की ओर से प्रक्षेपित भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन आदित्य एल1 करीब तीन महीने बाद आज पर मंजिल पर पहुंच जाएगा. रिपोर्ट्स की मानें, तो आज शनिवार 6 जनवरी को लगभग शाम 4 बजे इसे लैग्रेंज प्वाइंट 1 में स्थापित किया जाएगा. लैग्रेंज प्वाइंट 1 की दूरी पृथ्वी से करीब-करीब 15 लाख किलोमीटर है. यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है.
शाम 4 बजे लैंग्रेज प्वाइंट-1 में स्थापित होगा आदित्य एल-1
आदित्य एल1 को लेकर इसरो के अधिकारियों ने कहा कि आदित्य एल1 के लैंग्रेज प्वाइंट 1 में स्थापित हो जाने से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में मदद मिलेगी. अधिकारियों की मानें, तो आज आदित्य एल1 को शाम लगभग 4 बजे लैंग्रेज प्वाइंट 1 में स्थापित कर दिया जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो संभावना है कि आदित्य एल-1 शायद सूर्य की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा.
क्या है लैंग्रेज प्वाइंट
बता दें कि सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित लैंग्रेज प्वाइंट वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है. प्रभामंडल कक्षा, एल 1, एल 2 या एल 3 लैंग्रेज प्वाइंट में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है. आदित्य एल-1 को इसरो ने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) की मदद से 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था.
क्या है आदित्य एल-1 मिशन का मकसद
प्रक्षेपण के 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद पीएसएलवी ने आदित्य एल-1 को पृथ्वी की आसपास की कक्षा में स्थापित किया था. अधिकारियों की मानें, तो इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर्य वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है.
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