नई दिल्लीः Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेरिका में हैं. इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रोदा ने रविवार को डलास में टेक्सास विश्वविद्यालय में छात्रों को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष का परिचय कराते हुए कहा कि राहुल गांधी कोई पप्पू नहीं हैं. वह उच्च शिक्षित, पढ़े-लिखे, किसी भी विषय पर गहन सोच रखने वाले रणनीतिकार हैं.
राहुल गांधी ने अपनी इमेज बदली
दरअसल राहुल गांधी को उनके विरोधी कई वर्षों से 'पप्पू' कहकर संबोधित करते रहे हैं. हालांकि भारत जोड़ो यात्रा से लेकर 2024 के चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद से राहुल नए तेवर और कलेवर में दिख रहे हैं. उनको और उनकी बातों को देश-दुनिया में और गंभीरता से लिया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि राहुल गांधी के विरोधियों ने कब से उनके लिए इस तरह के शब्द का इस्तेमाल करना शुरू किया और क्यों यही शब्द उनके विरोध के लिए चुना गया था?
कैसे पप्पू शब्द का मतलब बदला
इंडिया टुडे की जुलाई 2028 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2007 में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस राहुल को अपने भविष्य के चेहरे के तौर पर दिखा रही थी. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि वह 1985 में राजीव गांधी की तरह दिए गए भाषण के जैसा ही संबोधन देंगे लेकिन वे निराश हुए. इसी साल एक फिल्म आई थी 'पप्पू पास हो गया.' इसके बाद पप्पू शब्द का अर्थ मासूम बच्चे की जगह बेवकूफ इंसान समझा जाने लगा. फिर 2008 में एक और फिल्म आई जिसका एक गाना काफी हिट हुआ था- 'पप्पू कैंट डैंस साला.'
वहीं दिल्ली में 2008 के चुनाव के समय दिल्ली चुनाव आयोग (DEC) ने एक कैंपेन चलाया था- पप्पू वोट नहीं कर सकता है. DEC ने 2009 के लोकसभा चुनाव में भी इस कैंपेन को चलाया जिससे ये धारणा बनी कि जरूरी काम होने के बावजूद पप्पू मूर्खतापूर्ण काम करते हैं. वहीं 2012 का साल आते-आते केंद्र की यूपीए 2 सरकार के खिलाफ माहौल बनने लगा था. वहीं इस तरह की चर्चाएं भी चलने लगी थीं कि क्या राहुल गांधी पार्ट टाइम राजनेता हैं?
कब राहुल से जोड़ा गया पप्पू शब्द
इस सबके बीच अप्रैल 2013 में राहुल गांधी ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंटस्ट्रीज (CII) के एक कार्यक्रम को संबोधित किया. उसी दिन ट्विटर पर #PappuCII हैशटैग टॉप पर ट्रेंड करने लगा. समझा जाता है कि यहां से विरोधियों ने राहुल के नाम के साथ पप्पू का ठप्पा लगा दिया. रिपोर्ट की मानें तो तब बीजेपी की आईटी सेल ने राहुल गांधी के साथ ये नाम जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
शाह ने भी नाम लिए बिना साधा था निशाना
वहीं अक्तूबर 2013 में देश में अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थीं. तभी अमित शाह ने एक चुनावी कैंपेन में कहा कि कांग्रेस सोचती है, 'प्रधानमंत्री की कुर्सी पप्पू का जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन यह लोकतंत्र है, आपको लोगों के आशीर्वाद की जरूरत है और लोगों का आशीर्वाद नरेंद्र मोदी के साथ है. हमने अपना पीएम उम्मीदवार (नरेंद्र मोदी) घोषित कर दिया है. कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा? पप्पू? नहीं, वे पप्पू को अपना उम्मीदवार नहीं बनाएंगे क्योंकि उन्हें हार का डर है.'
समय-समय पर राहुल को किया गया ट्रोल
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कई कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी के प्रति विश्वास की कमी जताई. तब कांग्रेस के पूर्व सांसद गुफरान आजम ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि आप राहुल को भाषण देना नहीं सिखा पाईं. वह राजनीतिक कौशल हासिल करने में असफल रहे. हम लोगों द्वारा उन्हें 'पप्पू' कहते सुनते हुए थक गए हैं और हमें शर्म आती है. इसके बाद भी लंबे समय तक इस नाम से राहुल गांधी को ट्रोल किया जाते रहा, लेकिन वह अपनी राजनीतिक राह पर डटे रहे और इसका बुरा नहीं माना.
जुलाई 2018 में राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा था, 'आपके (बीजेपी के) अंदर मेरे लिए नफरत है, गुस्सा है. मैं आपके लिए पप्पू हो सकता हूं, पर फिर भी मेरे मन में आपके लिए बिल्कुल गुस्सा नहीं है.'
कैसे राहुल से पीछे छूटा 'पप्पू' शब्द
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के और खराब प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी पर हमले और तेज हो गए लेकिन वह डिगे नहीं. इसके बाद 2022 में राहुल गांधी ने 'भारत जोड़ो यात्रा' की जिसके जरिए वह लोगों से और कनेक्ट हुए. इसके बाद उन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा भी की. वह अलग-अलग वर्गों के लोगों से मिले. इस सबसे उनके साथ जुड़ा ये शब्द पीछे छूटा और उनको गंभीरता से लिया जाने लगा. इसका ही असर हुआ कि 2024 के चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन में भी काफी सुधार हुआ.
रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि राहुल गांधी के लिए सबसे पहले इस शब्द का इस्तेमाल किसने किया, इसे लेकर कोई सुनिश्चित नहीं है. वैसे कुछ लोग इसके लिए आशाराम को जिम्मेदार मानते हैं जिन्होंने कथित तौर पर 2012-13 के आसपास एक सार्वजनिक रैली में राहुल गांधी का पप्पू कहकर मजाक उड़ाया था.
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