नई दिल्ली: कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने कब्रगाह के लिए भूमि उपलब्ध कराने में राज्य सरकार कथित नाकामी को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से तीखा सवाल किया कि क्या वह यह चाहती है कि शव सड़क पर फेंके जायें.
अदालत की अवमानन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बीते गुरुवार को अदालत की अवमानन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान न्यायमूर्ति बी. वीरप्पा ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले में गैर-जिम्मेदार तरीके से व्यवहार कर रही है और इसे अपने कृत्य पर शर्म आनी चाहिए.
अदालत ने कहा, ‘क्या आप चाहते हैं कि जहां कब्रिस्तान उपलब्ध नहीं है, वहां शव सड़कों पर फेंक दिये जाएं? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत को सरकार का काम करना पड़ रहा है.’
सरकार को अदालत ने दी ये बड़ी चेतावनी
अदालत ने चेतावनी दी कि अगर सरकार 15 दिनों के भीतर सभी गांवों और कस्बों में कब्रिस्तान उपलब्ध कराने के अदालत के आदेश पर अमल नहीं करती है, तो राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को अदालत की अवमानना के लिए जेल भेज दिया जाएगा.
मोहम्मद इकबाल की एक पूर्व याचिका के आधार पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को उन गांवों में छह सप्ताह के भीतर कब्रिस्तान उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, जहां एक भी कब्रिस्तान नहीं है. हालांकि, वर्ष 2019 के आदेश पर अब भी सरकार ने अमल नहीं किया है.
इस पर इकबाल ने एक बार फिर अदालत का रुख किया और सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना याचिका दायर की. सरकार के वकील ने मामले पर स्थिति रिपोर्ट सौंपने के लिए समय मांगा है.
लेकिन, अदालत ने इस अनुरोध पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह एक लापता व्यक्ति का मामला नहीं है, जिस पर सरकार को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने की आवश्यकता है, लोग अच्छे कामों के लिए वोट देते हैं. अदालत ने कहा कि सरकार को एक ‘वोट पाने के उपाय’ के रूप में कब्रिस्तान प्रदान करने पर विचार करना चाहिए.
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