गीता प्रेस को मिलेगा 2021 का प्रतिष्ठित गांधी शांति पुरस्कार, PM मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई

वर्ष 1995 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी. यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग के भेदभाव के बगैर सभी व्यक्तियों के लिए खुला है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 18, 2023, 09:08 PM IST
  • कई विशिष्ट लोगों को मिल चुका है यह पुरस्कार.
  • पुरस्कार राशि के रूप में मिलते हैं 1 करोड़.
गीता प्रेस को मिलेगा 2021 का प्रतिष्ठित गांधी शांति पुरस्कार, PM मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई

नई दिल्ली. धार्मिक और आध्यात्मिक किताबें प्रकाशित करने वाले गीता प्रेस को साल 2021 के प्रतिष्ठित गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है. गांधी शांति पुरस्कार भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है. वर्ष 1995 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी. यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग के भेदभाव के बगैर सभी व्यक्तियों के लिए खुला है.

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर गीता प्रेस को बधाई दी है. पीएम ने कहा है-गीता प्रेस को अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संस्थान द्वारा सामुदायिक सेवा में किए गए कार्यों की सराहना करना है. गांधी शांति पुरस्कार 2021, मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है, जो सच्चे अर्थों में गांधीवादी जीवन शैली का प्रतीक है.

पुरस्कार में मिलते हैं एक करोड़ रुपये
बता दें कि इस पुरस्कार के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. पुरस्कार में एक करोड़ रुपए की राशि, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा विशिष्ट कृति प्रदान की जाती है.

कई विशिष्ट लोगों को मिल चुका है पुरस्कार
इससे पहले यह पुरस्कार इसरो, रामकृष्ण मिशन, विवेकानंद केंद्र (कन्याकुमारी), अक्षय पात्र, सुलभ इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं को दिया जा चुका है. इसके अलावा पुरस्कार प्राप्त करने वाले विशिष्ट व्यक्तियों में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. नेल्सन मंडेला, तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जूलियस न्येरेरे, श्रीलंका के सर्वोदय श्रमदान आंदोलन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. ए.टी. अरियारत्ने, जर्मनी संघीय गणराज्य के डॉ. गेरहार्ड फिशर, बाबा आमटे, आयरलैंड के डॉ. जॉन ह्यूम, चेकोस्लोवाकिया के पूर्व राष्ट्रपति श्री वाक्लेव हवेल, दक्षिण अफ्रीका के आर्कबिशप डेसमंड टूटू, श्री चंडी प्रसाद भट्ट और जापान के श्री योही ससाकावा शामिल हैं.

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