नई दिल्ली: संसद का विशेष सत्र चल रहा है. आज दोपहर के बाद से आगे की कार्यवाही नए संसद भवन में होगी. पुराने संसद भवन में सभी सांसदों का फोटो सेशन भी हुआ. इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी समेत सभी सांसद उपस्थित रहे. विदाई कार्यक्रम को प्रधानमंत्री मोदी समेत कई नेताओं ने भी संबोधित किया.
पीएम मोदी- ये पल भावुक करने वाला
प्रधानमंत्री मोदी ने सेंट्रल हॉल को संबोधित करते हुए कहा, 'आज नए संसद भवन में हम सब मिलकर नए भविष्य का श्री गणेश करने जा रहे हैं. ये पल हमें भावुक करता है और हमें हमारे कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है. यहीं पर 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतरण किया, इसका गवाह रहा है ये सेंट्रल हॉल. ये सेंट्रल हॉल हमा सभी की भावनाओं से भरा हुआ है. इसी संसद से मुस्लिम बहनों को तीन तलाक से मुक्ति मिली. ट्रांसजेडंर बिल भी इसी संसद में पास हुआ. इसी संसद में जम्मू-कश्मीर से धरा 370 हटाया गया. आज कश्मीर शांति की राह पर चल रहा है. इसी संसद में चार हजार से ज्यादा बिल पास हुए. मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूं कि भारत टॉप तीन अर्थव्यवस्थाओं में जरूर पहुंचेगा.'
मोदी- संविधान सदन से जाना जाए पुराना भवन
पीएम मोदी ने कहा कि ने कहा, मेरी प्रार्थना और सुझाव है कि जब हम नए संसद भवन में जा रहे हैं, तो इसकी गरिमा कभी कम नहीं होनी चाहिए. इसे सिर्फ पुराना संसद भवन कहकर छोड़ दें, ऐसा नहीं होना चाहिए. अगर आप सब की सहमती हो तो इसे भविष्य में 'संविधान सदन' के नाम से जाना जाए.
प्रह्लाद जोशी- नया भवन उभरते भारत का प्रतीक
विदाई समारोह को संबोधित करते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, 'आज से हमारी संसद के दोनों सदनों की बैठकें नए संसद भवन में होंगी. हम सब यह जानते हैं कि सेंट्रल हॉल ब्रिटेन से भारत में सत्ता हस्तांतरण का गवाह रहा है. मैं नए भवन से संसद के दोनों सदनों के कामकाज को लेकर बहुत खुश और उत्साहित हूं, नया संसद भवन नए और उभरते हुए भारत का प्रतीक है. साल 2047 तक प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार, हमारा देश एक विकसित राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करेगा.'
मल्लिकार्जुन खड़गे- हमने जो किया, आज आप उसे आगे बढ़ा रहे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'हमसे हर बार यही पूछा जाता है कि 70 साल में क्या किया? हमने वही किया जो आज आप लोग आज आगे बढ़ा रहे हैं. जब हमने 1950 में लोकतंत्र को अपनाया, तो कई विदेशी विद्वानों ने सोचा कि यहां लोकतंत्र विफल हो जाएगा, क्योंकि यहां लाखों की संख्या में अशिक्षित लोग हैं. हमने उन्हें गलत साबित किया. हमें 70 साल में यही किया है.'
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