नई दिल्लीः भारत आज तेजी से आर्थिक वृद्धि कर रहा है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से देश को संबोधित करते हुए कहा था कि यह मोदी की गारंटी है कि देश अगले पांच साल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जबकि उससे आगे अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी हैं. इन टॉप 5 अर्थव्यवस्था में भारत और चीन दो ऐसे देश हैं जो न सिर्फ पड़ोसी देश हैं बल्कि एक दौर में दोनों की अर्थव्यवस्था के बीच बहुत अंतर नहीं था लेकिन धीरे-धीरे दोनों देशों की विकास की चाल में फासला बढ़ता गया.
भारत-चीन की जीडीपी में नहीं था ज्यादा फासला
विश्व बैंक के मुताबिक, साल 1961 में भारत की जीडीपी करीब 40 बिलियन डॉलर थी जबकि चीन की 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा थी. 1963 और 1964 में तो दोनों देशों की इकोनॉमी के बीच अंतर मामूली था. दोनों 50 बिलियन डॉलर के आसपास थी. लेकिन इसके बाद 1965 में दोनों के बीच फासला बढ़ने लगा. साल 1966 में सांस्कृतिक क्रांति (Cultural Revolution) के बाद चीन की विकास की रफ्तार कुछ बढ़ी लेकिन फिर सुस्ती आने के बाद 1969 से इसमें तेजी देखने को मिली.
वो दौर जब बराबर थी दोनों एशियाई मुल्कों की जीडीपी
दिलचस्प है कि इस दौर में भारत की अर्थव्यवस्था भी बढ़ रही थी लेकिन साल 1972 आते-आते चीन की अर्थव्यवस्था ने 100 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर दिया. भारत ने भी 1976 में इस मील के पत्थर को छू दिया.1979 में फिर वो दौर दोबारा आया जब भारत की जीडीपी चीन से थोड़ी ही कम थी. 1981 और 1988 में दोनों देशों की अर्थव्यवस्था लगभग बराबर हो गई थी.
1990 के बाद आया टर्निंग प्वाइंट, चीन ने लगाई जबदस्त छलांग
1990 में चीन की अर्थव्यवस्था भारत से थोड़ी ही ज्यादा थी. साल 1991 में भारत में आर्थिक सुधार होते हैं. लेकिन पड़ोसी चीन अपनी इकोनॉमी को अलग ही रफ्तार से आगे ले जाता है. साल 1999 में वह 1 ट्रिलियन डॉलर के कीर्तिमान को छू लेता है जबकि इस दौर में भारत की जीडीपी करीब 400 बिलियन डॉलर थी. साल 2002 में चीन की विश्व व्यापार संगठन (WTO) में एंट्री होती है और अगले ही साल उसकी जीडीपी 1.5 ट्रिलियन डॉलर का भी आंकड़ा पार कर लेती है. वहीं 2007 में भारत भी एक ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी होने का तमगा हासिल कर लेता है.
आर्थिक मंदी में भी भारत-चीन में बढ़ती रहा जीडीपी
साल 2008 में आर्थिक मंदी आई. दुनियाभर के देश इससे जूझ रहे थे लेकिन चीन और भारत इस संकट में भी तेजी से आगे बढ़ रहे थे. 2010 तक चीन 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन गया था जबकि 2014 में उसने 10 ट्रिलियन डॉलर का मुकाम भी हासिल कर लिया था. वहीं भारत इस समय दो ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी था. इसके बाद 2018 आते-आते अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की शुरुआत होती है लेकिन बीजिंग आगे बढ़ते रहता है.
आज भारत है सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था
फिर कोविड-19 आता है. साल 2022 में दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध देखती है. आज चीन में युवाओं की संख्या कम हो रही है. साथ ही उसकी आबादी भी घट रही है. ऐसे में उसकी अर्थव्यवस्था को लेकर दुनियाभर के विश्लेषक मान रहे हैं कि वह अब धीमी होने लगी है. तथ्य भी है कि आज भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और चीन दूसरे नंबर पर पहुंच गया है.
तो जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ देगा भारत
हालांकि भारत की जीडीपी अभी 3.74 ट्रिलियन डॉलर है जबकि चीन की अर्थव्यवस्था 19.37 ट्रिलियन डॉलर की है. कोविड से पार पाने के बाद महंगाई पर नियंत्रण रखने वाले भारत के पास आज सबसे ज्यादा युवा आबादी है. दुनियाभर के निवेशक भारत को पसंद कर रहे हैं. यही वजह है कि पीएम मोदी भी दावा कर रहे हैं कि भारत अगले पांच साल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी. यानी अगर यह अनुमान सही हुआ तो तब भारत जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ देगा.
भारत को तय करना है लंबा सफर
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने अगस्त 2022 में कहा था कि अगर भारत की वार्षिक औसत वृद्धि दर 7-7.5 फीसदी रहती है तो साल 2047 तक हमारी अर्थव्यवस्था 20 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी. वहीं मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने जून 2022 में अनुमान जताया था कि भारत 2040 तक 20 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा. यानी भारत को अभी जीडीपी के मामले में चीन के मुकाबले लंबा सफर तय करना है.
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